अतिवृद्धि

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लेख सूचना
अतिवृद्धि
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 90
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक मुकुंदस्वरूप वर्मा ।

अतिवृद्धि किसी भी अंग या आशय की रोगयुक्त वृद्धि को अतिवृद्धि कहा जाता है। जब किसी अवरोध के कारण आशय अपने भीतर की वस्तु को पूर्णतया बाहर नहीं निकाल पाता तो उसकी भित्तियों की वृद्धि हो जाती है। हृदय एक खोखला अंग है। जब कपाटिकाओं के रुग्ण हो जाने से वह रक्त को पूर्णतया बाहर नहीं निकाल पाता तो उसकी अतिवृद्धि होकर उसका आकार बढ़ जाता है और उसके पश्चात्‌ प्रसार होता है। जब किसी अंग को दूसरे अंग का भी कार्य करना पड़ता है (जैसे वृक्क या फुफ्फुस को), या एक भाग को दूसरे भाग का, तो उसकी सदा अतिवृद्धि हो जाती है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ