अथानासियस महान्
अथानासियस महान्
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| पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
| पृष्ठ संख्या | 94 |
| भाषा | हिन्दी देवनागरी |
| संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
| प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
| मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
| संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
| उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
| कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
| लेख सम्पादक | कामिल बुल्के। |
अथानासियस महान् (ल. 295-373 ई.)- संत अथनासियस का जन्म संभवत सिकंदरिया में हुआ था। व्यक्तिगत साधना के अतिरिक्त ये दो अन्य कारणों-
(1) आरियस के विरोध तथा
(2) सम्राट के हस्तक्षेप से गिरजे की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा- से चिरस्मरणीय है।
325 ई. मं यह नोकिया की महासभा में उपस्थित थे, जहाँ आरियस की शिक्षा दूषित ठहराया गया था (द्र. आरियस)। 328 ई. में ये सिकंदरिया के बिशप नियुक्त हुए, किंतु आरियस तथा उनके अनुयायियों के षड्यंत्रों के फलस्वरूप उनका उस नगर से पाँच चार निर्वासित किया गया। उनकी सौम्यता, उदारता तथा शांतिप्रियता के कारण आरियस के बहुत से अनुयायी काथलिक एकता में लौटे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ