अनेकांतवाद

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लेख सूचना
अनेकांतवाद
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 129
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक दीवान चंद्र ।

अनेकांतवाद जैनमत के अनुसार सत्यज्ञान पूर्ण ज्ञान है; ऐसा ज्ञान उन लोगों के लिए ही संभव है जिन्होंने निर्वाण पद प्राप्त कर दृष्टिकोण से देखने के कारण, अपूर्ण और सापेक्ष ज्ञान ही प्राप्त कर सकता है। ऐसे ज्ञान में सत्य और असत्य दोनों अंश विद्यमान होते हैं। प्रत्येक को यह कहने का अधिकार नहीं कि जो कुछ किसी अन्य मनुष्य को उसके दृष्टिकोण से दीखता है, उसे असत्य कहे। अनेकांतवाद अहिंसा के लिए एक दार्शनिक आधार प्रस्तुत करता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ