अभियांत्रिकी
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अभियांत्रिकी
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 179 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | डॉ. सीताराम बालकृष्ण जोशी |
अभियांत्रिकी का अंग्रेजी भाषा में पर्यायवाची शब्द 'इंजीनियरिंग' है, जो लैटिन शब्द 'इंजेनियम' से निकला है; इसका अर्थ स्वाभाविक निपुणता है। कलाविद की सहज प्रतिभा से अभियांत्रिकी धीरे-धीरे एक विज्ञान में परिणत हो गई। निकट भूतकाल में अभियांत्रिकी शब्द का जाए अर्थ कोश में मिलता था वह संक्षेप में इस प्रकार बताया जा सकता है कि 'अभियांत्रिकी एक कला और विज्ञान है, जिसकी सहायता से पदार्थ के गुणों को उन संरचरनाओं और यंत्रों के बनाने में, जिनके लिए यांत्रिकी (मिकैनिक्स) के सिद्धांत और उपयोग आवश्यक हैं, मुनष्योपयोगी बनाया जाता है।' कितु यह सीमित परिभाषा अब नहीं चल सकी। अभियांत्रिकी शब्द का अर्थ अब एक ओर नाभिकीय अभियांत्रिकी (न्यूक्लियर इंजीनियरिंग) के उच्च वैज्ञानिक और प्राविधिक क्षेत्र से लेकर मानवीय गुणों से संबंधित विषयों, जैसे श्रमिक नियंत्रण प्रबंधीय कार्यक्षमता, समय और गति का अध्ययन इत्यादि, अनेक प्रायोगिक विज्ञानों के विस्तृत क्षेत्र को घेरे हुए है। अत: अभियांत्रिकी की इस प्रकार परिभाषा करना अधिक उपयुक्त होगा कि 'यह मनुष्य की भौतिक सेवा के निमित्त प्राकृतिक साधनों के दक्ष उपयोग का विज्ञान और कला है।'
अभियांत्रिकी की अनेक शाखाओं में, जैसे वास्तुनिर्माण (सिविल), यांत्रिक, विद्युतीय, सामुद्र, खनिजसंबंधी, रासायनिक, नाभिकीय आदि में, कुछ महत्वपूर्ण कार्य अन्वेषण, प्ररचन, उत्पादन, प्रचलन, निर्माण, विक्रय, प्रबंध, शिक्षा, अनुसंधान इत्यादि। अभियांत्रिकी शब्द ने कितना विस्तृत क्षेत्र छेंक लिया है, इसका समुचित ज्ञान प्राप्त करने के लिए दृष्टांतस्वरूप उसकी विभिन्न शाखाओं के अंतर्गत आनेवाले विषयों के नाम देना ज्ञानवर्धक होगा।
वास्तुनिर्माण अभियांत्रिकी (सिविल इंजीनियरिंग) के अंतर्गत अग्रलिखित विषय है : सड़कें, रेल, नौतरण मार्ग, सामुद्र अभियांत्रिकी, बाँध, अपक्षरणनिरोध, बाढ़ नियंत्रण, नौनिवेश, पत्तन, जलवाहिकी, जलविद्युत्शक्ति, जलविज्ञान, सिंचाई, भूमिसुधार, नदीनियंत्रण, नगरपालिका अभियांत्रिकी, स्थावर संपदा, मूल्यांकन, शिल्पाभियांत्रिकी (वास्तुकला), पूर्वनिर्मित भवन, ध्वनिविज्ञान, संवातन, नगर तथा ग्राम परियोजना, जलसंग्रहण और वितरण, जलोत्सारण, महापवहन, कूड़े-कचड़े का अपवहन, सांरचनिक अभियांत्रिकी, पुल, कंक्रीट, जाएत्विक संरचनाएँ, पूर्वप्रतिबलित कंक्रीट (प्रिस्ट्रेस्ड कंक्रीट), नींव, संजान (वेल्डिंग), भूसर्वेक्षण, सामुद्रपरीक्षण, फ़ोटोग्राफीय सर्वेक्षण (फ़ोटोग्राफ़िक सर्वेयिंग), परिवहन, भूविज्ञान, द्रवयांत्रिकी, प्रतिकृति, विश्लेषण, मृदायांत्रिकी (सॉयल इंजीनियरिंग), जलस्रावी स्तरों में चिकनी मिट्टी प्रविष्ट करना, शैलपूरित बाँध, मृत्तिका बाँध, पूरण (भरना, ग्राउटिंग) की रीतियाँ, जलशयों में जल रसना (सीपेज) के अध्ययन के लिए विकिरणशील समस्थानिकों (आइसोटोप्स) का प्रयोग, अवसाद की घनता के लिए गामा किरणों का प्रयोग।
यांत्रिकी इंजीनियरिंग में उष्मागतिकी, जलवाष्प, डीजेल तथा क्षिपप्रणोदन (जेट प्रोपलशन), यंत्रप्ररचना, ऋतुविज्ञान, यंत्रोपकरण, जलचालित यंत्र, जातुकर्मविज्ञान, वैमानिकी, मोटरकार आदि (ऑटोमोबाइल) संबंधी आभियांत्रिकी, कंपन, पोतनिर्माण, उष्मा स्थानांतरण, प्रशीतन (रफ्ऱेीजरेशन) हैं।
विद्युत् अभियांत्रिकी में विद्युद्यंत्र, विद्युत्-शक्ति-उत्पादन, संचरणा तथ वितरण, जलविद्युत्, रेडियोसंपर्क, विद्युत्मापन, विद्युदधिष्ठापन, अत्युच्चावृत्ति कार्य, नाभिकीय अभियांत्रिकी, इलेक्ट्रानिकी हैं।
रासायनिक अभियांत्रिकी में चीनी मिट्टी संबंधी अभियांत्रिकी, दहन, विद्युत् रसायन, गैस अभियांत्रिकी, जाएत्वीय तथा पेट्रोलियम अभियांत्रिकी, उपकरण तथा स्वयंचल नियंत्रण, चूर्णन, मिश्रण तथा विलगन, प्रसृति (डिफ़्यूज़न) विद्या, रासायनिक यंत्रों का आकल्पन तथा निर्माण, विद्युत् रसायन हैं। कृषीय अभियांत्रिकी में औद्योगिक प्रबंध, खनि अभियांत्रिकी, इत्यादि, हैं।
अभियांत्रिकी को संकीर्ण परिमित शाखाओं में विभाजित नहीं किया जा सकता। वे परस्परावलंबी हैं। प्रायोगिक और प्राकृतिक दोनों प्रकार की घटनाओं का निरपक्ष निरीक्षण तथा इस प्रकार के निरीक्षण के फलों का अभियांत्रिक समस्याओं पर ऐसी सावधानी से प्रयोग, जिससे समय और धन से न्यूनतम व्यय से समाज को अधिकतम सेवा मिले, अभियांत्रिकी की प्रमुख पद्धति है। शुद्ध वैज्ञानिक अभियांत्रिकी की उलझनों को सुलझाने की रीति वैज्ञानिक चाहे खोज पाए हों या न पाए हों, अभियंता को तो अपना कार्य पूरा करना ही होगा। ऐसी अवस्था में अभियंता कुछ सीमा तक प्रायोगिक विश्लेषण का सहारा लेता है और कार्यरूप में परिणत होनेवाला ऐसा हल ढूँढ़ निकालता है जो, रक्षा का समुचित प्रबंध रखते हुए, उसकी प्रतिदिन की समस्याओं को सुलझाने योग्य बना सकता है। जैस-जैसे संबंधित वैज्ञानिक अंश का उसका ज्ञान अचूक होता जाता है, वह रक्षा के प्रबंध में कमी करके व्यय भी घटा सकता है। समस्याओं के बौद्धिक और क्रियात्मक विचार ने ही अभियंता को उन क्षेत्रों में भी प्रवेश करने योग्य बनाया है जो आरंभ से ही वैज्ञानिक, डाक्टर, अर्थशास्त्री, प्रबंधक, मानवीय-शास्त्र-वेत्ता इत्यादि से सरोकार रखते समझे जाते हैं।
विश्व का इतिहास अभियांत्रिकी के रोमांस की कहानी से भरा पड़ा है। भारत और विदेशों में दूरदर्शी तथा निश्चित संकल्पवाले मनुष्यों ने अपने स्वप्नों के अनुसरण में सब कुछ दाँव पर लगाकर महत्वपूर्ण कार्य संपादित किए हैं। प्रत्येक अभियांत्रिक अभियान में तत्संबंधी विशेष समस्याएँ रहती हैं और इनको हल करने में छोटी-बड़ी दोनों प्रकार की प्रतिभाओं को अवसर मिलता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ