अभोरर्स
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अभोरर्स
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 186 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | डॉ. राजेंद्र नागर |
अभोरर्स प्रोटेस्टेंट मतावलंबी लार्ड चांसलर शैफ़्ट्सबरी ने कैथोलिक मत के प्रसार का अवरोध करने तथा यार्क के ड्यूूक जेम्स का उत्तराधिकार अवैध घोषित करने के लिए आंदोलन संगठित किया। जेम्स को सिंहासन से वंचित करने के लिए पार्लियामेंट में एक्स्क्लूज़न बिल प्रस्तुत किया गया। बिल को विफल करने के लिए चार्ल्स द्वितीय ने 1679 में पार्लियामेंट भंग कर दी, फिर उसी वर्ष अक्टूबर में नई निर्वाचित पार्लियामेंट भी वर्ष भर के लिए स्थगित कर दी। शैफ़्ट्सबरी के आंदोलन के फल स्वरूप अनेक व्यक्तियों ने पार्लियामेंट फिर से बुलाने के लिए सम्राट् के सम्मुख प्रार्थनापत्र भेजे। प्रतिकार रूप में सर जार्ज जफ्रेी औऱ फ्रांसिस विथेंस ने सम्राट् के समक्ष इस कार्य का घृणात्मक विरोध प्रदर्शित करते हुए निवेदनपत्र भेजा। इस समय चार्ल्स की लोकप्रियता में वृद्धि तथा शैफ़्ट्सबरी के अनुचित कार्यों के कारण जनता में से भी अनेक व्यक्तियों ने प्रार्थियों के विरुद्ध आवेदन किया। जिन व्यक्तियों ने इस प्रकार के घृणात्मक विरोध का प्रदर्शन किया था उन्हें अभोरर्स कहा गया। बाद में इन्हें व्यंग रूप में टोरी संज्ञा प्राप्त हुई, तथा प्रार्थी दल को ह्विग संज्ञा।
टीका टिप्पणी और संदर्भ