अमाडियो आवोगाड्रो
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अमाडियो आवोगाड्रो
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 458 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री विंध्यावासिनी प्रभाकर |
आवोगाड्रो, अमाडियाे (1776-1856 ई.) इटैलियन वैज्ञानिक थे। प्रारंभ में उन्होंने कानून तथा दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया और 1796 में कानून में डाक्टरेट प्राप्त किया। बहुत समय पश्चात् उन्होंने भौतिक शास्त्र का अध्यापन प्रारंभ किया। उन्हें टयूरिन विश्वविद्यालय में 1802 में प्रोफेसर का पद मिला, जो राजनीतिक कारणों से 1822 तक ही रहा। परंतु कुछ वर्षो के बाद उसी पद पर पुन: उनकी नियुक्ति हुई। उनका महत्वपूर्ण लेख 'जर्नल दा फिज़ीक' (1811) में छपा। उनकी विशेष वैज्ञानिक देन वह नियम है जो अब आवोगाड्रो की परिकल्पना (आवोगाड्रोज़ हाइपॉथेसिस) के नाम से प्रसिद्ध है।
लोगों को इस परिकल्पना का ठीक ज्ञान कैनी जारों के स्पष्टीकरण से बहुत बाद में हुआ। उसके पहले इस परिकल्पना तथा उसके सिद्धांत पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। 1814 में फ्रांस के वैज्ञानिक ऐंपेअर ने वे ही विचार व्यक्त किए जो तीन वर्ष पहले आवोगाड्रो की परिकल्पना में थे। मोलिक्यूल (अणु) शब्द का वैज्ञानिक प्रयोग तथा उसके अर्थ का स्पष्टीकरण भी आवोगाड्रो ने ही किया था।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं.-सर विलियम ए.टिल्डेन: फ़ेमस केमिस्ट्स (1930); जे.आर. पारटिंगटन: ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑव केमिस्ट्री (1951)।