अमेज़न
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अमेज़न
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 208 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री भगवतरण उपाध्याय |
अमेज़न - प्राचीन पश्चिमी जनविश्वास के अनुसार नारी योद्धा जिनका पुक्सीन सागर के निकट पोंतस में आवास बताया जाता है। कहते हैं कि इन नारी योद्धाओं का अपना स्वतंत्र राज्य था और उसपर उनकी रानी थर्मोदीन नदी के तट पर बसी अपनी राजधानी थेमिस्कीरा से राज्य करती थी। आनुश्रुतिक विश्वास के अनुसार इन योद्धाओं ने इस्कीदिया, ्थ्रोस, लघु एशिया और ईजियन सागर के अनेक द्वीपों पर हमले किए थे और एक समय तो उनकी सेनाएँ अरब, सीरिया और मिस्र तक पहुँच गई थीं। उनके देश में मर्द को बसने का अधिकार न था, परंतु वे अपनी अद्भुत जाति को लुप्त होने से बचाने के लिए अपनी पड़ोसी जाति के पुरुषों में जाकर कुछ दिन रह आती थीं। इस संबंध से जो पुत्र होते थे वे या तो मार डाले जाते थे या अपने पिताओं के पास भेज दिए जाते थे और कन्याएँ रख ली जाती थीं जिन्हें उनकी माताएँ कृषिकर्म, आखेट और युद्ध करना सिखाती थीं। ग्रीकों का विश्वास था कि अमेज़न योद्धाओं के दाहिना स्तन नहीं होता था जिससे वे अस्त्र-शस्त्र आसानी से चला सकती थीं। ग्रीक किंवदंतियों में तो अनेक ग्रीक वीरों का इन नारी योद्धाओं से युद्ध हुआ है जिसके दृश्य ग्रीक कलावंतों ने बार-बार अपने देवताओं की चौखटों पर उभारे हैं। ग्रीक कला में अमेज़न-नारी-योद्धा का आकलन पर्याप्त हुआ है। एक अमेज़न (मात्तेई) की अत्यंत सुंदर मूर्ति वातिकन के संग्रहालयों में आज भी सुरक्षित है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ