अमेरिका का गॄहयुद्ध
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अमेरिका का गॄहयुद्ध
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 193 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | डॉ. बैजनाथ पुरी |
अमरीका का गृहयुद्ध 1861-65 ई. के बीच संयुक्त राज्य अमरीका और दक्षिण के ग्यारह राज्यों के बीच गुहयुद्ध हुआ। यह कहना सर्वथा उचित न होगा कि यह युद्ध केवल दास प्रथा को लेकर हुआ। वास्तव में इस संघर्ष का बीज बहुत पहले ही बोया जा चुका था और यह विभिझ विचारधाराओं में पारस्परिक विरोध का परिणाम था। उत्तर के निवासी भौगोलिक परिस्थिति, यातायात के साधन तथा व्यापारिक सफलता के फलस्वरूप संतुष्ट,संपन्न तथा अधिक सभ्य थे। दक्षिणी राज्यों की अपनी अलग समस्या थी। 17वीं और 18वीं शताब्दियों में अफीका से बहुत से हबशी दास यहाँ लाए गए थे और वे ही कृषि उत्पादन के आधार थे। इसलिए दक्षिणी राज्य इन हबशी दासों को मुक्त करने में असमर्थ थे और वे कृषि तथा अन्य उद्योगों में स्वतंत्र श्रम से काम नहीं ले सकते थे। अमेरिका के उत्तरी राज्य के निवासी शीतल जलवायु के कारण अपना कार्य सरलता से कर लेते थे और वह दासों पर निर्भर नहीं करते थे। इसीलिए वहाँ दासप्रथा धीरे-धीरे लुप्त हो गई। मशीन युग ने समस्या को और भी जटिल बना दिया और उत्तर तथा दक्षिण के बीच की खाई बढ़ने लगी। उत्तरी निवासी मशीन के प्रयोग से आर्थिक क्षेत्र में प्रगति करने लगी। उनका कोयले और लोहे का उत्पादन बढ़ा और वहाँ बहुत से कारखाने काम करने लगे। वहाँ की जनसंख्या भी तेजी से बढ़ने लगी। दक्षिणी राज्यों के लोग अभी तक केवल कृषि पर आधारित थे और वे युग के साथ प्रगति नहीं कर सके। यहाँ की जनसंख्या भी अधिक तेजी से नहीं बढ़ी। संयुक्त राष्ट्र की व्यापारिक नीति उत्तरी राज्यों के लिए लाभदायक थी पर दक्षिणवाले उससे लाभ नहीं उठा सकते थे। व्यापारिक नीति का दक्षिण में विरोध हुआ और दक्षिणी इसे अवैध ठहराने लगे। वे स्वतंत्र व्यापार के अनुयायी थे, जिससे वे अपना कच्चा माल बिना नियंत्रण के विदेश भेज सकें और अपने आवश्यकतानुसार बनी हुई चीजें खरीदें। दक्षिण कैरोलाइना ने जान कूल्हन के मतानुसार प्रत्येक राज्य को संयुक्त राज्य की किसी भी नीति को मानने या न मानने का पूर्ण अधिकार था। संघर्ष के बीज ने अब वृक्ष का रूप धारण कर लिया था। संविधान की आड़ में उत्तर और दक्षिण के राज्य अपने अपने मत की पुष्टि का पूर्णतया प्रयास करने लगे।
व्यापारिक नियंत्रण के अतिरिक्त दासप्रथा को लेकर यह विरोध और बढ़ा। ऐंड्रयू जैकसन के समय दासप्रथा के विरोध में किया गया उत्तरी राज्यों में प्रदर्शन और दक्षिणी राज्यों में इसको कायम रखने का प्रयास गृहयद्ध का दूसरा मूल कारण हुआ। दक्षिणी कहने लगे कि टेक्सास पर अधिकार और मेक्सिको से युद्ध करना अनिवार्य है। वे सेनेट में बराबरी की संख्या कायम रखना चाहते थे। 1844 ई. में मसाच्यूसेट्स की धारासभा ने यह प्रस्ताव पारित किया कि संयुक्त राष्ट्र का संविधान अपरविर्तनीय है और टेक्सास पर अधिकार अमान्य है। दक्षिणियों ने और जोर से कहा कि यदि दासप्रथा बंद की गई तो वे संयुक्त राज्य से अलग हो जाएँगे। दासप्रथा का प्रश्न राजनीतिक क्षेत्र के अतिरिक्त अब धार्मिक क्षेत्र में भी घुस आया। इसको लेकर मेथडिस्ट चर्च में भी उत्तरी और दक्षिणी दो दल हो गए। दोनों ने धार्मिक संस्थाओं को अपनी ओर खींचा। यद्यपि विग और डेमोक्रैट दलों ने 1848 ई. के राष्ट्रपति के चुनाव में इस समस्या को अलग रखना चाहा, तथापि इस चुनाव ने जनता को दो भागों में बाँट दिया जो मूलत: भौगोलिक आधार पर बँटी थी।
संघर्ष और भी घना होता गया। मेक्सिकों से युद्ध में प्राप्त भूमि में दासप्रथा को रखने अथवा हटाने का प्रश्न जटिल था। दक्षिणवाले इसे रखना चाहते थे। क्योंकि यह उनके क्षेत्र में था, पर उत्तर के निवासी सिद्धांत रूप से दासप्रथा के पूर्ण विरोधी थे और नए स्थान में इसे रखने को तैयार न थे। उत्तरी राज्यों की धारासभओं ने इसका विरोध किया, पर इसके विपरीत दक्षिण में दासप्रथा के समर्थन में सार्वजनिक सभाएँ हुई। विर्जिनिया की धारासभा ने उत्तरी राज्यों की सभा में पारित किए गए प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया और वहाँ की जनता ने संयुक्त राज्य से लोहा लेने का दृढ़ निश्चय कर लिया। 1850 ई. में एक समझौता हुआ जिसके अंतर्गत कैलिफोर्निया स्वंतत्र राज्य के रूप में संयुक्त राज्य में शामिल हो गया और कोलंबिया में दासप्रथा हटा दी गई। टेक्सास को एक करोड़ डालर दिए गए और भागे हुए दासों को वापस करने का एक नया कानून पारित हुआ। इसका पालन नहीं हुआ। उत्तर के राज्य भागे हुए बदमाशों को उनके मालिकों के पास नहीं लौटाते थे। इससे परिस्थिति गंभीर हो गई। प्रसिद्ध ड्रेडस्काट वाद में न्यायाधीश टानी ने बहुमत से निर्णय किया कि विधान के अंतर्गत न तो राष्ट्रीय संसद् (सेनेट) और न किसी राज्य की धारासभा किसी क्षेत्र से दासप्रथा को हटा सकती है। इसके ठीक विपरीत लिंकन ने कहा कि कोई भी राज्य अपनी सीमा के अंदर दासप्रथा को हटा सकता हैं। इन प्रश्नों को लेकर राजनीतिक दलों में आंतरिक विरोध हो गया। 1860 ई. में लिंकन राष्ट्रपति चुन लिए गए। लिंकन का कहना था कि यदि किसी घर में फूट है तो वह घर अधिक दिन नहीं चल सकता। इस संयुक्त राज्य को आधे स्वतंत्र और आधे दासों में नहीं बाँटा जा सकता। राष्ट्रपति के चुनाव की घोषणा के बाद दक्षिण कैरोलाइना ने एक सम्मेलन बुलाया जिसमें संयुक्त राज्य से अलग होने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ। 1861ई. के फरवरी तक जार्जिया, फ्लोरिडा, अलाबामा, मिसीसिपी, लूइसियाना और टेक्सास ने इस नीति का पालन किया। इस प्रकार नवंबर, 1860 ई. से मार्च, 1861ई. तक, वाशिंगटन में केंद्रीय शासन शिथिल हो गया। 1861ई. के फरवरी मास में वाशिंटन में शांतिसंमेलन हुआ, किंतु थोड़े समय बाद, 12 अप्रैल, 1861 ई. को अनुसंघीय राज्यों की तोपों ने चार्ल्स्टन बंदरगाह की शांति भंग कर दी। यहाँ प्रदर्शित फोर्ट सुमटर पर गोलाबारी करके 'कानफ़ेडरेता' ने गृहयुद्ध छेड़ दिया।
युद्ध के मोर्चे मुख्यत: तीन थे-समुद्र, मिसीसिपी घाटी और पूर्व समुद्रतट के राज्य। युद्ध के आरंभ में प्राय: समग्र जलसेना संयुक्त राज्य के हाथ में थी, किंतु वह बिखरी हुई और निर्बल थी। दक्षिणी तट की घेराबंदी से यूरोप को रुई का निर्यात और वहाँ से बारूद, वस्त्र और औषधि आदि दक्षिण के लिए अत्यंत आवश्यक आयात की चीजें पूर्णतया रुक गई। संयुक्त राज्य के बेड़े ने दक्षिण के सबसे बड़े नगर न्यूआलींस से आत्मसमर्पण करा लिया। मिसीसिपी की घाटी में भी संयुक्त राज्य की सेना की अनेक जीतें हुई। वर्जिनिया कानफेडरेतों को बराबर सफलताएँ मिलीं। 1863ई. में युद्ध का आरंभ उत्तर के लिए अच्छा नहीं हुआ, पर जुलाई में युद्ध की बाजी पलट गई। 1864ई. में युद्ध का अंत स्पष्ट दीखने लगा। 17 फरवरी को कानफेडरेतों ने दक्षिण कैरोलाइना की राजधानी कोलंबिया को खाली कर दिया। चार्ल्स्टन संयुक्त राज्य के हाथ आ गया। दक्षिण के निर्विवाद नेता राबर्ट ई. ली द्वारा आत्मसमर्पण किए जाने पर 13 अप्रैल को वाशिंटन में उत्सव मनाया गया। गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद दक्षिणी राज्यों के प्रति कठोरता की नीति नहीं अपनाई गई, वरन् कांग्रेस ने संविधान में 13वाँ संशोधन प्रस्तुत करके दासों की स्वतंत्रता पर कानूनी छाप लगा दी।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं.-डी.सी. सोमरवेल : हिस्ट्री ऑव यूनाइटेड स्टेट्स (1941); एलसन् : हिस्ट्री ऑव दि यूनाइटेड स्टेट्स ऑव अमरीका (1909); हिस्ट्री ऑव दि सिविल वार।