अरिस्तोफ़ानिज़
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अरिस्तोफ़ानिज़
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 236 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री भोलानाथ शर्मा |
अरिस्तोफ़ानिज़ - (बीज़ांतियम्) ई.पू. 195 के आसपास सिकंदरिया के सुविख्यात पुस्तकालय का प्रधान अध्यक्ष। इस प्रकांड विद्वान् ने प्राय: सभी प्रमुख ग्रीक कवियों, नाटककारों और दार्शनिकों के ग्रंथों का संपादन किया था। कोशकार एवं वैयाकरण के रूप में भी इसकी विशेष ख्याति है। कुछ लोगों के मत में इसने ग्रीक भाषा के स्वरों (ऐक्सेंट्स) का आविष्कार किया था पर अन्य लोगों के मत में यह केवल उनका सुव्यवस्थापक था। प्राणिशास्त्र पर भी इसने पुस्तक लिखी थी। इसका जीवनकाल ई.पू. 257 से 180 तक माना जाता है।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं.-जे.ई. सैंडीज़ : ए हिस्ट्री ऑव क्लासिकल स्कॉलर्शिप, 3 जिल्द, 1908।