अलातशांति

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लेख सूचना
अलातशांति
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 256
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक डॉ. रामचंद्र पांडेय


अलातशांति लकड़ी आदि को प्रज्वलित कर चक्राकार घुमाने पर अग्नि के चक्र का भ्रम होता है। यदि लकड़ी की गति को रोक दिया जाए तो चक्राकार अग्नि का अपने आप नाश हो जाता है। बौद्ध दर्शन और वेदांत में इस उपमा का उपयोग मायाविनाश के प्रतिपादन के लिए किया गया है। माया के कारण का नाश होने पर माया से उत्पन्न कार्य का भी नाश हो जाता है। यही अलातचक्र के दृष्टांत से सिद्ध किया जाता है।





टीका टिप्पणी और संदर्भ