अलेक्सियस मिखाइलोविच
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अलेक्सियस मिखाइलोविच
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 261 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री अवनींद्रकुमार नारायण |
अलेक्सियस मिखाइलोविच - (1629-76), रोमनोव राजवंश का दूसरा 'ज़ार'। इसकी शिक्षा धर्म के आधार पर मास्को में हुई। प्रसिद्ध विद्वान् बोरिस मोरोजीव इसका शिक्षक था। इस कारण इसकीे शिक्षा में आधुनिक साधनों का भी उपयोग किया गया। जर्मनी के नक्शे और चित्र भी बरते गए। प्राचीन रूसी संस्कृति के साथ दृढ़ अनुराग रखता हुआ भी यह पश्चिमी सभ्यता से आकृष्ट हुआ। विदेशी भाषाओं कीे पुस्तकों का रूसी भाषा में इसने अनुवाद कराया। रूस में सर्वप्रथम नाट्य रंगमंच (थिरेटर) की स्थापना की। 1645 ई. में वह राजसिंहासन पर बैठा।
रूस इस समय संक्रमण की स्थिति में था। 16वीं शताब्दी आधुनिक युग के साथ रूस में आई। रूस में परिवर्तन वांछनीय है, यह माननेवाला वह अकेला था। रूसी दरबार के कुछ लोग कट्टर रूढ़िवादी और पश्चिमी सभ्यता के विरोधी थे। इसने अपने सलाहकार प्रगतिशील विचारों के लोगों में से चुने, जैसे मारोजीव ओरडिन, माशाखेकिन माखेयो।
अनुभव न होने राज्य में पहले अशांति रही। लेकिन 1655 में शांति स्थापित हो गई। 1655-1656 और 1660-1667 में पोलैंड से उसने युद्ध किया, स्मोलेंस्क जीता, लिथुएनिया के अनेक प्रांतों पर अधिकार कर लिया। 1655-1661 तक उसका स्वीडेन से युद्ध हुआ। कज्जाकों को उसने रूस से निकाल दिया। विधिसंहिताओं में उसने संशोधन किया और आधुनिक विज्ञान का अनुवाद कराया। उसने अनेक धार्मिक सुधार भी किए।
अलेक्सियस स्वभाव से नरम, दयालु और न्यायप्रिय शासक था। वह अपने उत्तरदायित्व को भली भांति समझता था। भविष्य की ओर देखते हुए भी उसने रूस का अतीत से संबंध सहसा नहीं तोड़ा। महान् पीटर का यह पिता था। उसका निजी जीवन लांछनरहित था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ