अल्जीयर्स
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अल्जीयर्स
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 261 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | डा० विभा मुखर्जी |
अल्जीयर्स नगर अल्जीरिया राज्य की राजधानी है। यह अल्जीयर्स की खाड़ी के पश्चिमी तट पर बुजारी पर्वत से सटी हुई और समुद्रतट के समांतर जानेवाली साहिल पहाड़ियों की ढाल पर बसा हुआ है (स्थिति: अ. 36° 44¢ तथा दे. 3° 7¢ पू.)। यह नगर राज्पाल के निवासस्थान, विधानसभा, उच्च न्यायालय, सैनिक अड्डा तथा आर्चबिशप का केंद्रस्थल है। यहाँ की समुद्र की लहरों को स्पर्श करती हुई पहाड़ियों की खड़ी ढाल सैनिक अड्डे की दृष्टि से अत्यत महत्वपूर्ण है। तुर्को का बसाया हुआ अल्जीयर्स त्रिभुजाकार था जिसके शीर्ष पर कस्बा नामक मुहल्ला था, आधार पर रिपब्लिक वीथी (बूलवर्द दि रिपब्ल्कि) और भुजाओं के दोनों ओर खाई तक जानेवाले सोपान थे। फ्रांसीसी अल्जीयर्स अलग अलग छोटे-छोटे टुकड़ा में बसा हुआ था। आधुनिक अल्जीयर्स पाश्चात्य ढंग का नगर है। मस्जिदें, सैन्य आवास तथा मूर लोगों के बनवाए सुंदर भवन, अब सब ध्वस्त हो गए हैं, केवल उनके खंडहर अभी तक विद्यमान हैं।
इस बंदरगाह का तटीय प्रदेश रिपब्लिक वीथी के नाम से परिचित है। इसके उत्तरी भाग को फ्रांस वीथी (बूलवर्द द ला फ्रांस) और दक्षिणी भाग को कॉर्ना वीथी कहते हैं। इस नगर के मुख्य कार्यालय तथा व्यवसायकेंद्र इन वीथियों पर स्थित हैं।
रिपब्लिक वीथी पर राजभवन स्थित है जो बहुत दिनों तक इस नगर केंद्र था। समुद्रतट के समांतर जानेवाली बाब-अल-अऊद नामक संकीर्ण सड़क पर अल्जीयर्स का सबसे पुराना भाग बसा है। अल्जीयर्स की देशज विशेषता इसके सबसे ऊँचे भाग, पहाड़ियों की ढाल पर दिखाई पड़ती हैं। 118 मीटर की उँचाई पर कस्बा बसा हुआ है। मुस्तफा क्षेत्र, जो पहले इस नगर का एक उपनगर था, आज कल नगर में सम्मिलित हो गया है।
पुराने समय में खैरुद्दीन ने पेनोन नामक छोट टापू को मुख्य भूभाग से मिलाकर तुर्को का बंदरगाह बनाया था और आज भी इस टापू पर नाविक-सेना-कार्यालय, दिशासूचक प्रकाशस्तंभ और विभिन्न तुर्की भवन दिखाई देते हैं। फ्रांसीसियों का उन्नत वर्तमान बंदरगाह इससे कुछ दूर पर बना है, जिसका स्थान फ्रांसीसी बदरगाहों में महत्व की दृष्टि से केवल मारसेई के बाद पड़ता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ