अल्फियेरी वित्तोरियो

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लेख सूचना
अल्फियेरी वित्तोरियो
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 264
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक श्री ओंकारनाथ उपाध्याय


अल्फियेरी वित्तोरियो काउंट (1749-1803)-इटली का प्रसिद्ध दु:खांत नाटककार, जिसका जन्म पीदमोंत प्रांत के अस्ती नगर में हुआ था। उसे 14 वर्ष की अवस्था में ही पिता और चाचा की अनंत संपत्ति विरासत में मिली। सात वर्ष तक वह पर्यटक के रूप में यूरोप के विविध देशों में भ्रमण करता रहा जिसका वृतांत उसने अपनी आत्मकथा में अंकित किया। यद्यपि उसका भ्रमण उसकी विलासिता से विकृत था, उसने उसे प्रभावित भी प्रभूत किया और इंग्लैंड की राजनीतिक स्वतंत्रता तथा फ्रांस के साहित्य का लाभ उसने भरपूर उठाया। वे ही दोनों उसके जीवन के आदर्श बन गए। वोल्तेयर, रूसो और मोंतेस्क का अध्ययन उसने गहरा किया, फलत: राजनतिक अत्याचार का वह शत्रु बन गया।

अल्फियेरी के नाटकों में प्रधान 'साउल' है। स्वाभाविक ही अपनी आदर्श चेतना के अनुसार अपना एक दु:खांत नाटक 'मारिया स्तुआरदा', लिखकर उसने अपनी प्रिय चहेती काउंटेस को समर्पित किया जिसके साथ रहकर उसने अपना शेष जीवन बिता दिया। उसके पिछले नाटकों में प्रधान 'मिर्रा' था जिसे अनेक समालोचकों ने 'साउल' से भी सुंदर माना है।

अल्फियेरी अमरीकी और फांसीसी दोनों राज्यक्रांतियों का समकालीन था और दोनों पर उसने सुंदर कविताएँ लिखीं। फ्रांसीसी राज्यक्रांति के समय वह पेरिस में ही था। वहाँ के रक्तपात से घबड़ाकर वह काउंटेस के साथ अपनी संपत्ति छोड़ फ्रांस से भाग निकला। उसे आंखों देखी मारकाट से जो घृणा हुई तो उसने उसके विरुद्ध 'मिसोगालो' नाम के अपने गद्यसंग्रह में कुछ बड़े सशक्त निबंध प्रकाशित किए और इस प्रकार उसने न केवल राजाओं और महंतों के विरुद्ध, बल्कि राज्यक्रांति के अत्याचार के विरुद्ध भी अपनी आवाज उठाई।

इन निबंधों के अतिरिक्त उसका यश उसकी कविताओं, प्रधानत: उसके 19 नाटकों पर अवलंबित है। 19वीं सदी के आरंभ में उसकी रचनाओं के संग्रह 22 खंडों में फ्लोरेंस में प्रकाशित हुए। उसी नगर में उसका देहाँत भी हुआ।


टीका टिप्पणी और संदर्भ