अल बलाजुरी
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अल बलाजुरी
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 254 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | डॉ. परमात्मा शरण |
अल बलाजुरी अहमद बिन हिया बिन जाबिर अल बलाजुरी। जन्मतिथि अज्ञात; मृत्यु 892 ई.। प्रसिद्ध मुसलमान इतिहासकार। खलीफ़ा मुतवक्किल का मित्र। जनश्रुति के अनुसार 'बलाजुरी' फल (भिलावा) का रस भूल से पी लेने से मरे। किंतु यह निश्चय नहीं है कि यह घटना उनके दादा से संबंधित है या स्वयं उन्हीं से। तात्पर्य यह है कि बलाजुरी के जीवन का वृतांत बहुत कुछ अज्ञात है। वह फारसी के प्रकांड पंडित थे और फारसी ग्रंथों के अरबी में अनुवादक नियुक्त किए गए थे। शायद इसी कारण उन्हें अरबी न मानकर फारसी या ईरानी माना गया है। किंतु उनक पितामह मिस्र की खिलाफत में उच्च पदाधिकारी थे। बलाजुरी की शिक्षा दमिश्क, अमीसा तथा ईराक में हुई थी। इब्नसाद उनके गुरु थे।
बलाजुरी के लिखे दो बृहत् ग्रंथ हैं: (1) फुतूह-उल-बल्दान, देगेज द्वारा संपादित तथा 1866 ई. में लाइडन से प्रकाशित, द्वितीय प्रकाशन कैरो से 1318 हि.(1900ई.) में। इस ग्रंथ में मुहम्मद और यहूदी लोगों के युद्ध से आरंभ करके उनके अन्य सामरिक कृत्यों तथा सीरिया, मिस्र और आरमीनिया आदि की विजय का इतिहास वार्णित है। जहाँ तहाँ ऐसे स्थल भी बिखरे पड़े हैं जिनसे तत्कालीन सांस्कृतिक सवं सामाजिक दशा पर प्रकाश पड़ता है। राजनीतिक शब्दावली तथा संस्थाओं, राजकर, मुद्रा तथा शासन संबंधी अन्य बातों के भी बहुमूल्य उल्लेख इस पुस्तक में पाए जाते हैं। अरब राजनीतिक इतिहास पर यह एक अत्यंत मूल्यवान एवं प्रामाणिक ग्रंथ हैं। (2) बलाजुरी का दूसरा ग्रंथ है 'अन्साब-अल-अशराफ'-इस ग्रंथ के लेखक ने बड़ी बृहदाकार योजना बनाई थी, पर वह उसे पूरा न कर पाया। इसमें अरबों का वंशानुगत इतिहास दिया गया है।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं.-एनसाइक्लोपीडिया ऑव इस्लाम।