असीरिया
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असीरिया
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 305 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री हरिहर सिंह |
असीरिया इराक की दजला (टाइग्रिस) और फरात (यफ्रूेटीज़) नदियों के बीच में जो भूमि है उसपर, प्राचीन काल में, दो राज्य, असीरिया तथा बैबिलोनिया थे। पश्चिम में मध्य मेसोपाँचटामिया का उजाड़ प्लेटो, पूर्व में कुर्दिस्तान का पहाड़ी भाग, उत्तर में आर्मीनिया तथा दक्षिण में बैबिलोनिया का राज्य असीरिया की सीमाएँ निर्धारित करते थे।
जहाँ असीरिया था वह पर्वतीय तथा पठारी देश है। इसके मध्य में मैदानी भाग तथा कुछ घाटियाँ हैं। जलवायु भूमध्यसागरीय है। यहाँ सिंचाई की समुचित व्यवस्था थी। असीरिया राज्य का विस्तार सीरिया की तरफ अधिक था। जहाँ आज शरकात नगर है, वहीं दजला नदी के पश्चिमी तट पर असुर नगर था जो देश की राजधानी था। निनेवेह नगर असुर से 60 मील उत्तर में स्थित था। कुछ समय के लिए कलाह ८वीं तथा ९वीं शताब्दी में देश की राजधानी था। अखेला, हरना आदि बहुत से नगर तथा उपनगर देश में थे, जिनके अवशेष अब भी मिलते हैं।
बर्बर आक्रमणों से अपनी रक्षा तथा अधिक कठिनाइयाँ का सामना करने के कारण यहाँ लोग युद्धप्रिय तथा कठोर थे। यहाँ गेहूँ, जौ तथा फल बहुत पैदा होता था। यहाँ की सभ्यता ईसा से 2,500 ई.पू. की मानी जाती है। प्रारंभिक सुमेरी काल के इतिहास में यहाँ की सभ्यता का वर्णन पाया जाता है। यहाँ के नगर सुव्यवस्थित ढंग से बसे हुए थे। जिनमें विनोदस्थल, क्रीड़ाकेंद्र तथा उद्यान थे। नगरों के चारों तरफ अट्टालयुक्त चौड़ी दीवारें थीं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ