आंद्राक्लीज़
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आंद्राक्लीज़
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 330 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | डॉ. भोलानाथ शर्मा |
आंद्राक्लीज़ आँद्रोक्लुस, एक रोमन दास का नाम जो सम्राट् तिबेरियुस के समय हुआ। उसने अपने स्वामी की निर्दयता से तंग आकर, भागकर अफ्रीका में एक गुफा में शरण ली। कुछ समय पश्चात् इस गुफा में एक लँगड़ाते हुए शेर ने प्रवेश किया और आंद्राक्लीज़ ने उसके पंजे से एक बड़ा काँटा निकाल दिया। कुछ समय पश्चात् वह पकड़कर सर्कस में सिंह के सामने फेंक दिया गया। यह सिंह वही था जिसकी आंद्राक्लीज़ ने सहायता की थी; सिहं ने, कहते हैं, इस कारण उसको नहीं खाया। इसपर आँद्राक्जीज़ को स्वतंत्र कर दिया गया।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं.-जार्ज बर्नार्ड शॉ : आंद्राक्लीज़ ऐंड द लॉएन, 1911।