आंद्रासी जूलियस काउंट
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
आंद्रासी जूलियस काउंट
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 330 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | डॉ. ओमकारनाथ उपाध्याय |
आंद्रासी जूलियस, काउंट - (1823-1890ई.)। हंगरी के इस राजनीतिज्ञ का जन्म स्लोवाकिया के कोचिरे नगर में हुआ था। वह हंगरी के संवैधानिक आँदोलन के नेताओं में से था। देश के अगले युद्धों में उसे अनेक बार भाग लेना पड़ा और फलस्वरूप अनेकानेक कठिनाइयाँ भी सहनी पड़ीं। कालांतर में वह हंगरी का प्रधान मंत्री हुआ और उसने सेना आदि के क्षेत्र में अनेक सुधार किए। आस्ट्रिया और रूस से उसे बराबर राजनीतिक लोहा लेते रहना पड़ा। रूस को वह स्वदेश का अत्यंत भीषण शत्रु मानता था और उसके हथकंडों के प्रतिकार के लिए उसने जीवन भर प्रयत्न किए। धीरे-धीरे देश की रक्षा के लिए उसने ग्रेट ब्रिटेन, इटली, जर्मनी और रूस तक से मैत्री कर ली। यद्यपि वह तुर्को के उत्तमान साम्राज्य को बनाए रखने के मत का था, परंतु यदि वह संभव न हो सका तो वह रूस के मुकाबले आस्ट्रिया हंगरी का प्रभुत्व बाल्कन राज्यों में कायम रखना चाहता था। पूर्वी प्रश्न के संबंध में उसने बराबर इसी दृष्टि से प्रयत्न किए। आंद्रासी पहला मगयार राजनीतिज्ञ था जिसने अखिल यूरोपीय यश अर्जित किया। वह क्रांतिपूर्व हंगरी के राज्य का प्रधान निर्माता माना जाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ