आइडेंटी किट

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लेख सूचना
आइडेंटी किट
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 334
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक डॉ. निरकांर सिंह

आइडेंटी किट का आविष्कार लास एँजेल्स के टेक्निकल सर्विसेज डिविजन के उच्चधिकारी ह्मू.सी. मैकडानल्ड ने किया था। इसकी सहायता से ऐसे अपराधी भी पकड़े जा सकते हैं जिनका पुलिस अथवा गुप्तचर विभाग में कोई रिकार्ड न हो।

'आइडेंटी किट' में चार इंच चौड़ी और पाँच इंच लंबी 19 तस्वीरें होती हैं। उन तस्वीरों या वर्को पर गुप्त चिहृ और संख्या लिखी रहती है। उनमें नाक, आँख, टुड्ढी, माथा, ओठ, पलकें यानी चेहरे के हर हिस्से की प्राय: हर प्रकार की आकृतियाँ होती हैं जिनकी सहायता से हर प्रकार की तस्वीरें तत्काल तैयार की जा सकती हैं। जब इनसे किसी की शक्ल बना ली जाती है तब वर्क के चिहृ और संख्याएँ तस्वीर के नीचे एक पंक्ति में जमा हो जाती हैं। यह संख्या आसानी से प्रसारित की जा सकती है और जहाँ कहीं भी पुलिस के पास 'आइडेंटी किट' हो, वह इन संख्याओं की सहायता से अपराधी की शक्ल तुरंत तैयार कर लेता है। फिर उस शक्ल की प्रतिलिपियाँ जगह जगह इस तरह से वितरित कर दी जाती हैं कि अपराधी चाहे जहाँ भी हो, उसे पहचानने में कोई कठिनाई नहीं होती।

अमरीका में 'आइडेंटी किट' का प्रचलन अन्य देशों की अपेक्षा अभी अधिक है। वहाँ ऐसे उदाहरणों की भरमार है, जिसमें गुप्तचर विभाग के अधिकारियों ने अपराधी की तस्वीर लोगों के बीच बाँट दी ओर उनकी सहायता से अपराधी आनन फानन पकड़ा गया।



टीका टिप्पणी और संदर्भ