आरमेइक (भाषा)
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आरमेइक (भाषा)
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 421 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री सतीशकुमार रोहणा |
आरमेइक (भाषा), सेमेटिक (द्र) अथवा सामी भाषा परिवार के उत्तर पश्चिम भाग की एक प्रसिद्ध भाषा है। आरमेइक मूल रूप से फिलस्तीन एवं सिरिया के उन प्रवासियों की भाषा थी और उत्तर में बढ़कर 'आरम' अर्थात पहाड़ी प्रदेश में जाकर बस गए। आरमेइक की हिब्रू (द्र.) से बहुत अधिक समानता है। आरमेइक के प्राचीन अभिलेख दमिश्क (द्र.) के निकट ई.पू. छटी शताब्दी के आसपास के मिलते हैं।
आरमेइक की मुख्य दो शाखाएं हैं: (1) पूर्वी आरमेइक, (2) पश्चिमी आरमेइक। पूर्वी आरमेइक की मुख्य उपभाषाएं हैं।: बेबीलोनियन, बेईअन, हरनियन एवं सीरिअक। सीरिअक को क्रिश्चिनी आरमेइक भी कहते हैं क्योंकि इस आरमेइक में ईसाइयों का धार्मिक साहित्य लिखा गया है। स्वयं ईसा भी पूर्वी आरमेइक बोलते थे। पूर्वी आरमेइक की उपर्युक्त समस्त भाषाएं उपभाषाएं प्राय: समाप्त हो चुकी हैं। इसकी कुछ आधुनिक उपभाषाओं का प्रयोग मेसोपोटेमिया के कुछ भागों में होता है।
पश्चिमी आरमेइक ई.पू. चौथी शताब्दी से ईसा की सावतीं शताब्दी तक पश्चिमी एशिया एवं मिस्र की मुख्य एवं संपर्क भाषा थी। पश्चिमी आरमेइक की मुख्य उपभाषाएँ हैं: प्राचीन आरमेइक, बाइबिली आरमेइक, फिलस्तीनी आरमेइक तथा सेमेरीटन आरमेइक। पश्चिमी आरमेइक में यहूदियों की अनेक धार्मिक रचनाएँ हैं। पश्चिमी आरमेइक की उपर्युक्त उपभाषाएं एक प्रकार समाप्त हो चली हैं। इसकी परवर्ती जीवित उपभाषा का प्रयोग लेबनाम के छोटे से भाग में होता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ