आरिस्तीदिज
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आरिस्तीदिज
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 423 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भोलानाथ शर्मा |
आरिस्तीदिज् (ल.ई.पू. 520 से ई.पू. 468) एथेंसनिवासी यूनानी राष्ट्र-नीति-विशारद और योद्धा, जो अपने उच्च कोटि के आचरण के कारण न्यायी कहलाते थे। यह लीसीमाकस के पुत्र थे और इन्होंने अपनी न्यायप्रियता, देशप्रेम एवं संयताचार के कारण अत्यधिक ख्याति प्राप्त की थी। माराथॉन् के अभियान में यह एक सेनापति थे और तत्पश्चात् ई.पू. 489-488 में वत्सराभिधानी शासक (आर्कोन् ऐपोनियस्) बने। परंतु थेमिस्रोक्लेस से विरोध हो जाने के कारण इनको ई.पू. 483 में निर्वासित कर दिया गया। जब इनके निर्वासन के संबंध में मतदान हो रहा था तब इनको न जाननेवाले एक कृषक ने स्वयं इनसे निर्वासन के पक्ष में मत देने को कहा। उससे पूछने पर कि आरिस्तीदिज़् ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, उसने उत्तर दिया कि उनको सर्वत्र 'न्यायी' कहा जाना मुझे अखरता है। दो वर्ष पश्चात् उनको क्षमा कर दिया गया और एथेंस लौट आए। सालामिस् के युद्ध में उन्होंने विशेष पराक्रम दिखलाया और प्लातेइया के युद्ध में वह प्रधान सेनाध्यक्ष थे। देलॉस का संघ बनने पर विविध राष्ट्रों के अनुदान का निर्णय इन्होंने किया था। स्पार्ता के विरोध करने पर भी ऐथेंस की दीवारों को इन्होंने बनवाया। अरस्तू के अनुसार इन्होंने जनतंत्रात्मक राष्ट्रीय समाजवाद की नीति का प्रतिपादन किया। इनकी मृत्यु अत्यंत निर्धनता में हुई।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्र.-अरस्तू का एथेंस का संविधान, 1956; अरस्तू की राजनीति (दोनों ग्रंथों का हिंदी अनुवाद) 1956।