आरिस्तीयस
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आरिस्तीयस
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 423 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भोलानाथ उपाध्याय |
आरिस्तीयस सूर्यदेव अपोलो और लापिथाए के राजा हिप्सेयस् की पुत्री कीरेने के पुत्र। ये पशुओं और फलों के वृक्षों की रक्षा करनेवाले देवता माने जाते थे। ख्याति है कि इन्होंने एक बार और्फेयस् की पत्नी यूरीदिके का पीछा किया और वह इनसे बचने के लिए भागती हुई सर्प के काटने से मर गई। इसपर अप्सराओं ने रुष्ट होकर इनको शाप दिया जिससे इनकी पालतू मधुमक्खियाँ नष्ट हो गईं। तब इन्होंने ने अपनी माता और प्रौतियस् नामक जलदेवता के परामर्श से अप्सराओं को बलि दी। नौ दिन पश्चात् इन पशुओं के कंकाल में से मधुमक्खियाँ पुन: उत्पन्न हो गईं। आरंभ में इनकी पूजा थेसाली में होती थी, बाद केयॉस् और बियोतिया में भी होने लगी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ