आर्मीनिया

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लेख सूचना
आर्मीनिया
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 437
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक श्री नृपेंद्र्कुमार सिंह

आर्मीनिया उत्तरी पूर्वी एशिया माइनर तथा ट्रांसकाकेशिया का एक प्राचीन देश था, जिसके विभिन्न भाग अब ईरान, टर्की तथा रूस देश में सम्मिलित हैं। इसके उत्तर में जार्जिया, पश्चिम तथा दक्षिण पश्चिम में टर्की और पूर्व में ऐज़रबैजान हैं। इसका क्षेत्रफल ३0,000 वर्ग कि.मी. और जनसंख्या 20,50,000 (1970) है। इसका अधिकतर भाग पठारी है (ऊँचाई 6,000 से 8,000 फुट तक) जिसमें छोटी-छोटी श्रेणियाँ तथा ज्वालामुखी पहाड़ियाँ हैं। जाड़े में कड़ाके की सर्दी पड़ती है। जलवायु अत्यंत शुष्क है। लेनिनाकन नगर में जनवरी का औसत ताप 12° फा., जुलाई में 65° फा. और वार्षिक वर्षा 16.2 इंच है। अरास तथा उसकी सहायक जंगा यहाँ की मुख्य नदियाँ हैं। अरास नदी की घाटी में कपास, शहतूत (रेशम के लिए), अंगूर, खुबानी तथा अन्य फलों, चावल और तंबाकू की खेती होती हे। सिंचाई की सुविधा का विकास हो रहा है और फलों का उत्पादन तथा उद्योग बढ़ रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में पशु उद्योग, दूध के बने पदार्थ तथा वन्य उद्योग होते हैं। ऊँट प्रमुख भारवाही पशु है। कटारा नामक स्थान में ताँबे की खानें हैं। अधिकांश क्षेत्रों में जीवनस्तर बहुत ही निम्न है। यहाँ के निवासी आर्मीनी, रूसी तथा तुर्की तातार जाति के हैं। यहाँ की सभ्यता मुख्यत: आर्मीनी है। सभ्यता तथा संस्कृति के विकास में यहाँ की प्राकृतिक भूरचना का महत्वपूर्ण हाथ रहा है। यह भूभाग पूर्व तथा पश्चिम के मध्य यातायात का मुख्य साधन है। पुरातत्व संबंधी अन्वेषणों के अनुसार मानव सभ्यता के आदि विकास में आर्मीनिया का महत्वपूर्ण योग रहा है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ