आल्कीयस
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आल्कीयस
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 448 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री भोलानाथ शर्मा |
आल्कीयस् गोतिकाव्यों की रचना करनेवाले अत्यंत प्राचीन ग्रीक कवि। इनका जन्म लैस्वम् के मितोलेने नगर में लगभग ई. पू. 620 में हुआ था और यह सुविख्यात कवयित्री साप्फो के समकालीन थे। युवावस्था में इन्होंने युद्धों में भी भाग लिया था तथा एक युद्ध में इनको भागना पड़ा था। अपने नगरराष्ट्रके तानाशाह पित्ताकस् से इनका कलह हुआ था जिसके परिणामस्वरूप इनका मिस्र में प्रवास करना पड़ा। आल्कीयस् के काव्य के विषय विविध प्रकार के थे। स्तोत्र, पानगीत, प्रेमगीत, सूक्तियाँ सभी इनकी रचनाओं में मिलती हैं। इनकी भाषा ग्रीक भाषा की उपभाषा इओलिक है। इनके नाम से आल्कीय छंद का भी प्रचलन हुआ था। इस नाम के दो अन्य कवि भी ई.पू. 400 और ई.पू. 200 में हुए हैं।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं.-मरे: एक हिस्ट्री ऑव एंशेंट ग्रीक लिटरेचर, 1937। नौर्वुड: द राइटर्स ऑव ग्रीस, 1935; बाउरा: एंशेंट ग्रीक लिटरेचर, 1945।