आसज्जा
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आसज्जा
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 464 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री शंभुनाथ उपाध्याय |
आसज्जा (रेडीनेस) : 'आसज्जा' शब्द का प्रयोग साधारणतया सिद्धता के अर्थ में किया जाता है। इसका अनुमान मनौवैज्ञानिकों ने बुद्धिपरीक्षाओं के आधार पर किया है। किसी भी कार्य को आरंभ करने के लिए यह आवश्यक माना गया है कि उसकी परीक्षा करके देख लिया जाए कि वह अमुक कार्य करने के लिए उपयुक्त है। इसके लिये यह आवश्यक है कि बौद्धिक स्तर मालूम किया जाए, उसके पिछले कार्यो का फल जान लिया जाए, स्वास्थ्य तथा उसका सामाजिक और भाषा संबंधी ज्ञान नाप लिया जाए।
बालकों के पढ़ने की आसज्जा पर मनोवैज्ञानिकों ने विशेष कार्य किया है। अमरीका में गेट्स तथा बेंड ने महत्वपूर्ण कार्य किया है। इस अध्ययन का प्रयोग बालकों की प्रारंभिक शिक्षा तथा सामग्री को उचित रूप देने में किया गया है। जो लड़के पढ़ने लिखने में असफल रहे हैं उनकी शिक्षा दीक्षा में इसके द्वारा विशेष लाभ हुआ हैफ 'पायग्नोरिस ऐंड रेमेडिअल टीचिंग' के विषय में इस देश में भी कुछ कार्य हो रहा है तथा कई स्थानों पर विषयों के अध्ययन की आसज्जा से संबंधित परीक्षाएँ प्रमाणित की जा रही हैं। इस प्रकार की एक परीक्षा राजकीय सेंट्रल पेजागाजिक इंस्टिटयूट में हिंदी के संबंध में चलाई गई है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ