आसीर
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आसीर
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 465 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्रीनवलकिशोर प्रसाद सिंह |
आसीर पश्चिमी अरब का एक प्रदेश है जो 17° 31¢ से 21° 0¢ उ.अ. तक तथापि 40° 30¢ से 45° 0¢ पू.दे. तक फैला हुआ है। इसके उत्तर में हेजाज़, पश्चिम में लाल समुद्र, दक्षिण में यमन तथा पूर्व में नेज्द प्रदेश हैं। इस प्रदेश के दो भाग किए जा सकते हैं। पहला तो समुद्रतटीय मैदान, जो लगभग 25 मील चौड़ा है। दूसरा पठार, जो इन पहाड़ों से आरंभ होकर नेज्द प्रदेश तक चला गया है। आसीर की लंबाई लगभग 230 मील और चौड़ाई 180 मील है।
इस प्रदेश के मुख्य बंदरगाह जिज़ान और मैदी हैं। जिज़ान सम्रदतटीय मैदान की, जिसे तिहामा कहते हैं, राजधानी है और पर्वतीय प्रदेश की राजधानी आभा है। पठार के पूर्वी भाग में बिशा, रान्या और तुराबा नामक घाटियां हैं जो घनी बसी हैं। पश्चिमी भाग की मुख्य घाटियों में खामिस मुशैत तथा वादी शहरां है। पहाड़ों के निवासी स्वतंत्रताप्रेमी तथा कष्टसहिष्णु हैं। ये इल्लाम नाम की जाति बसती है जिसका मुख्य निवास रान्या की घाटी है।
सन् 1914 ई. के पूर्व यह प्रदेश तुर्की के अधिकार में था, यद्यपि पहाड़ी भागों के लोग प्राय: स्वतंत्र थे। सन् 1926 ई. में यह बहाबी संरक्षकता में आ गया और अंत में 1933 में यह सऊदी अरब के राज्य में मिला लिया गया। एक वर्ष पश्चात् यमन और सऊदी अरब में युद्ध आरंभ हो गया जिसका अंत तैफ की संधि से हुआ। इस संधि के अनुसार नज़रा के मरूद्यान सहित आसीर प्रदेश सऊदी अरब का एक भाग हो गया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ