आस्ट्राखाँ
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आस्ट्राखाँ
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 470 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री नृपेंद्रकुमार सिंह |
आस्ट्राखाँ यूरोपीय रूस का एक नगर जो वोल्गा नदी के बाएँ किनारे, डेल्टा के सिरे पर, समुद्रतल से 50 फुट नीचे बसा है। (46° 22¢ उ.अ.; 48° 6¢ पू.दे.)। साल में तीन से लेकर चार महीने तक यहाँ पानी जमकर बर्फ हो जाता है। यह कैस्पियन सागर पर स्थित बंदरगाह तथा ताब्रीज से रेलवे द्वारा संबद्ध है। ताब्रीज यहाँ से दक्षिण पश्चिम में 145 मील दूर है। आस्ट्राखाँ का मुख्य निर्यात मछली (कैवियर), तरबूजा तथा शराब है। अनाज, नमक, धातु, कपास तथा ऊनी सामान भी बाहर भेजा जाता है। भेड़ों के नवजात मेमनों के चमड़े, जिन्हें इस नगर के नाम पर आस्ट्राखाँ कहते हैं, यहाँ से निर्यात किए जाते हैं। शहर तीन भागों में विभाजित है: (1) 'क्रेम्ल' या पहाड़ी किला, जहाँ ईटोंं का एक कथीड्रल (गिरजाघर) है, (2) 'ह्वाइट टाउन' जिसमें प्रशासकीय ऑफिस तथा बाजार हैं और (3) उपनगरी, जिसमें लकड़ी के मकान तथा टेढ़े मेढ़े रास्ते हैं। 1919 ई. में यहां विश्वविद्यालय, संग्रहालय, खुले स्थान तथा सर्वसाधारण के लिए उद्यान हैं। पहले यह नगर तातार राज्य की राजधानी था और वर्तमान स्थिति से सात मील उत्तर में स्थित था, परंतु तैमूर द्वारा 1935 में नष्ट किए जाने पर आधुनिक स्थान पर बसा। ईवान चतुर्थ ने तातारों को 1556 ई. में निष्कासित कर दिया। 18वीं शताब्दी में यह नगर ईरानियों द्वारा लूटा गया था। कई बार इस नगर में भीषण आग लगी, 1836 ई. में हैजे द्वारा बड़ी क्षति हुई और 1921 में भयंकर दुर्भिक्ष पड़ा। इसकी आबादी 1970 ई. में 4,11,000 थी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ