इंफाल
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इंफाल
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 503 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्यामसुंदर शर्मा |
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इंफाल नगर मणिपुर राज्य के मध्य, इंफाल घाटी में इंफाल तथा नंबूल निदयों के बीच, समुद्र की सतह से 2600 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। (24° 50' उ.अ. तथा 94° 0' पू.दे.)। यह मणिपुर राज्य की राजधानी है। घनी ग्रामीण बस्तियों के मध्य स्थित इस स्थान की सर्वप्रथम ख्याति स्थानिय राजा के गढ़ के कारण थी, किंतु सन् 1891 ई. में अंग्रेजी राज्य स्थापित होने के पश्चात् इसको नगर का रूप मिला।
सैनिक दृष्टि से इसकी स्थिति इतनी महत्वपूर्ण है कि द्वितीय विश्वमहायुद्ध में यह नगर जगद्विख्यात हो गया। नगर के मुख्य धंधों में कपड़े बुनने का गृह उद्योग तथा दस्तकारी हैं। अपनी विशिष्ट तथा कुशल कारीगरी के कारण यहाँ के बने हुए कपड़ों की माँग भारत में ही नहीं, विदेशों में भी है। शिक्षा के क्षेत्र में भी यह नगर पर्याप्त उन्नतिशील है। यहाँ छह महाविद्यालय हैं, जिनमें से एक में केवल मणिपुरी नृत्यकला की शिक्षा दी जाती है। नगर के गढ़प्रकोष्ठ में सैनिक छावनी (चौथी आसाम राइफल्स) स्थित है। यह छावनी सुरक्षार्थ तीन ओर से खाईं तथा एक ओर से इंफाल नदी द्वारा आवृत है। यहाँ पोलो (चौगान) खेलने का एक सुंदर मैदान है। यह नगर भारत के अन्य भागों तथा ब्रह्मा से पक्की सड़क और वायुमार्ग द्वारा संबद्ध है। यहाँ से निकटतम रेलवे स्टेशन (मणिपुर रोड) 134 मील पर है। यहाँ से कपड़े, चावल, मिर्च, मसाले, मोम, हाथीदाँत तथा चूने के पत्थर का निर्यात होता है। यहाँ की जलवायु स्वास्थ्यवर्धक है। चारों ओर स्थित वनस्पतियुक्त पहाड़ियों से घिरे होने के करण नगर अति मनोरम लगता है। इस नगर की गणना भारत के कतिमय स्वच्छतम नगरों में की जाती है। यहाँ की भाषा मणिपुरी है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ