इल्मेनाइट

अद्‌भुत भारत की खोज
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इल्मेनाइट एक खनिज है, जो प्रधानत: लौह टाइटेनेट है। अनेक उद्योगों में टाइटेनियम के उपयोग की वृद्धि होने के कारण इल्मेनाइट के खनन तथा उत्पादन की ओर विश्व के अनेक शक्तिशाली राष्ट्रों का ध्यान आकर्षित हुआ है। यद्यपि इल्मेनाइट आग्नेय एवं परिवर्तित शिलाओं का नितांत सामान्य भाग है, तथापि भारत में समुद्र तटीय बालू के निक्षेपों के अतिरिक्त कोई भी निक्षेप ऐसा नहीं है, जहाँ आर्थिक एवं वाणिज्य की दृष्टि से खनन कार्य लाभद्रप्रद हो सके।

  • दक्षिण भारत में तटीय बालू के लगभग 100 मील लंबे भूखंड में, पश्चिमी तट पर क्विलन के उत्तर में नंदीकारिया से कन्याकुमारी तक तथा पूर्वी तट पर किनारे किनारे तिरूनेलवेली जिले में लिपुरूम तक, इल्मेनाइट अधिक मात्रा में पाया जाता है।
  • इल्मेनाइट बालू के साहचर्य में रयूटाइल, ज़िरकन, सिलीमेनाइट तथा मोनाज़ाइट आदि खनिज के रूप में मिलता है। कुछ कम महत्व की इल्मेनाइटयुक्त तटीय बालू मालाबार, रामनाथपुरम, तंजोर, विशाखपत्तनम, रत्नगिरि तथा गंजाम जिलों में भी मिली है।
  • त्रावनकोर में इल्मेनाइटयुक्त तटीय बालू को खोदकर समीप के सांद्रण कारखानों को भेज दिया जाता है, जहाँ 95 प्रतिशत शुद्धता का इल्मेनाइट प्राप्त किया जाता है।
  • इल्मेनाइट का उपयोग आजकल टाइटेनियम श्वेत नामक श्वेत तैल रंग के निर्माण में किया जाता है।
  • टाइटेनियम श्वेत 'सफेदा' (लेड सल्फेट) से भी अधिक श्वेत होता है। इसका और इसके यौगिकों का उपयोग तैल रंगों के अतिरिक्त कागज, चर्म, सूती कपड़े, रबर, प्लैस्टिक आदि अनेक उद्योगों में होता है।
  • धात्विक टाइटेनियम का उपयोग विशेष प्रकार के इस्पात के निर्माण में किया जाता है।
  • विश्व में इल्मेनाइट उत्पादन की दृष्टि से भारत का स्थान दूसरा है। अनुमानित आँकड़ों के अनुसार इसका समस्त भांडार 35 करोड़ टन के लगभग आँका गया है।
  • भारत में उत्पादित इल्मेनाइट का अधिकांश विदेशों को निर्यात कर दिया जाता है।[१]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विद्यासागर दुबे, हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2| पृष्ठ संख्या- 07