ईति

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
ईति
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 26
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक कैलाशचंद्र शर्मा

ईति खेती को हानि पहुँचानेवाले उपद्रव। इन्हें छह प्रकार का बताया गया है :

अतिवृष्टिरनावृष्टि: शलभा मूषका: शुका:।

प्रत्यासन्नाश्च राजान: षडेता ईतय: स्मृता:।।

अर्थात्‌ अतिवृष्टि, अनावृष्टि, टिड्डी पड़ना, चूहे लगना, पक्षियों की अधिकता तथा दूसरे राजा की चढ़ाई।

भारतीय विश्वास के अनुसार अच्छे राजा के राज्य में ईति भय नहीं सताता। तुलसीदास ने इसका उल्लेख किया है:

दसरथ राज न ईति भय नहिं दुख दुरित दुकाल।

प्रमुदित प्रजा प्रसन्न सब सब सुख सदा सुकाल।।[१]

सूरदास ने कुराज में ईतिभय की संभावना दिखाई है :

अब राधे नाहिनै ब्रजनीति।

सखि बिनु मिलै तो ना बनि ऐहै कठिन कुराजराज की ईति।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (तुलसी ग्रंथा.पृ. 68)