ईनिस
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
ईनिस
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 29 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भगवतशरण उपाध्याय |
ईनिस आंकिसिज़ और अफ्रोदीती का पुत्र। होमर के 'ईलियद' में उसका त्राय के वीरों में उल्लेख है। लातीनी कवि वर्जिल ने उसी पर अपना प्रसिद्ध काव्य 'ईनिद' लिखा। ग्रीक और लातीनी परंपरा के अनुसार, कहते हैं, त्राय के विध्वंस के पश्चात् उसने गृहदेवताओं और वृद्ध पिता को पीठ पर लिया और पुत्र का हाथ पकड़ भगदड़ में बाहर की राह ली। उसकी पत्नी उसी भगदड़ में खो गई। फिर वह सागर की राह फिरता रहा। अंत में तूफान ने उसे अफ्रीकी तीर पर डाल दिया। ईनिस के संबंध की घटनाएँ तो अधिकतर पुराण ही हैं पर उन्होंने यूरोप के प्राचीन साहित्य को पर्याप्त प्रभावित किया है और उसके चरित को लेकर मध्यकाल में अनेक यूरोपीय भाषाओं में रोमांचक कथाएँ भी प्रस्तुत हुई हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ