ईरुला

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लेख सूचना
ईरुला
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 37
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक श्यामसुंदर शर्मा

ईरुला यह शब्द तमिल भाषा के ईरुल (श्याम) शब्द से निकला है। दक्षिण भारत में नीलगिरि की पहाड़ियों पर निवास करनेवाली एक अत्यधिक श्यामवर्ण आदिम जाति का नाम ईरुला है। इसके विपरीत 'बडागा' सबसे सुंदर वर्णवाली आदिम जाति है। ईरुला लोग अपनी बोलचाल में अपभ्रंश तमिल का प्रयोग करते हैं तथा एक प्रकार के विष्णुपूजक हैं। इस जाति में विवाह के समय एक भोज देने के अतिरिक्त अन्य कोई विशेष प्रथा नहीं है। इनके यहाँ मृतकों को गाड़ने की प्रथा है, गाड़ते समय शव को पह्मसनावस्था में एवं मस्तक को उत्तर की ओर करके रखा जाता है। ये लोग आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं, किंतु भविष्यवक्ता के रूप में इनका बड़ा आदर होता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ