ईसकिलस
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ईसकिलस
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 42 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | स्वरगीय भोलानाथ शर्मा |
ईसकिलस (ई.पू. 525-ई.पू. 456) यूनानी भाषा के प्राचीनतम नाटककार जिनके नाटक इस समय उपलब्ध हैं। इनकी अपेक्षा प्राचीनतर नाटककार थैस्पिस का नाममात्र ज्ञात है पर उनका कोई नाटक नहीं मिलता। इनका जन्म एथेंस के समीप इल्युसिस नामक स्थान में एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। ईसकिलस ने फारस के साथ होनेवाले युद्धों में भाग लिया था और आर्तेमिसियुम, सलामिस और प्लातइया नामक स्थानों पर संग्राम किया था। मराथन नामक स्थान पर ईसकिलस और उसके दो भाइयों ने ऐसा लोकोत्तर पराक्रम प्रदर्शित किया कि एथेंस ने उनके चित्र अंकित करने का आदेश दिया। सिराकूस के राजा हिएरन प्रथम के निमंत्रण पर उन्होंने दो बार सिराकूस की यात्रा की। ई.पू. 484में उनको प्रथम पुरस्कार मिला; ई.पू. 468 और ई.पू. 458में पुन: उनके नाटकों पर विजयोपहार प्राप्त हुए। इसके पश्चात् ई.पू.456 में वे पुन: सिसिली की यात्रा पर गए और वहीं उनकी मृत्यु हुई। कहते हैं, आकाश में उड़ती हुई चील के पंजों से छूटकर एक कछुआ उनके सिर पर गिरा जिसके कारण उनका प्राणांत हुआ। एक समय उनपर इल्युसिस की देवी देमेतर के रहस्य को उद्घाटित कर देने का अपराध आरोपित किया गया था पर वे अपने को इससे मुक्त करने में सफल हो गए।
ईसकिलस ने सर्वप्रथम यूनानी दु:खांत नाटकों को उनका विशिष्ट रूप प्रदान किया। आरंभ में यह नाटक डिथीरंब नामक गीत के रूप में प्रस्तुत किए जाते थे। थैस्पिस नामक कलाकर ने गायकमंडली (कोरस) में से एक पात्र को पृथक् अभिनेता के रूप में प्रस्तुत किया। ईसकिलस ने एक दूसरे अभिनेता की सृष्टि कर गीत को नाटक के रूप में परिणत कर दिया। इस प्रकार ईसकिलस दु:खांतनाटक (ट्रागेदी=ट्रैजेडी) के सुव्यवस्थित रूप के जन्मदाता माने जाते हैं। उन्होंने 70 (अथवा एक अन्य मत के अनुसार 90) नाटकों की रचना की थी। आजकल इनमें से केवल सात मिलते हैं और कुछ अन्य नाटकों की बिखरी हुई पंक्तियाँ यत्रतत्र उधृत मिलती हैं।
हिकैतिदेस (शरणार्थिनी बालाएँ) यूरोपीय साहित्य का आजकल उपलब्ध होनेवाला प्राचीनतम नाटक माना जाता है। मिस्र देश के ईगिप्तुस और दनाउस दो भाई राज्य करते थे। प्रथम भाई के 50 पुत्र थे और दूसरे के 50 पुत्रियाँ। ईगिप्तुस के पुत्र दनाउस की पुत्रियों के साथ बलात् विवाह करना चाहते थे परंतु यह उनकी इच्छा के विरुद्ध बात थी। अत: राजकुमारियाँ भागकर अपने पितासहित समुद्र पार पैलास्गुस के आर्गस नामक राज्य में चली गईं। यद्यपि पैलास्गुस उनको शरण देने में आनाकानी करने लगे तथापि आर्गस की प्रजा ने अपने मतदान द्वारा उन्हें शरण देने के लिए विवश कर दिया। इसके उपरांत ईगिप्तुस के पुत्रों ने उनका पीछा किया और पैलास्गुस की सभा में अपने दूत भेजे। यद्यपि उन्होंने युद्ध की धमकी दी, तथापि पैलास्गुस ने शरणार्थियों को लौटाना स्वीकार नहीं किया। इस कथा की पूर्ति के लिए ईसकिलस ने 'ईगिपतिइ' और 'दनाइदेस' नामक दो नाटक और लिखे थे जो अब नहीं मिलते। इस प्रकार के तीन नाटकों के गुच्छकों को 'त्रिलोगी' कहा जाता था।
'पैर्साए' नामक नाटक में सालामिस के युद्ध में खैरखैस और उसकी पारसीक सेना के पराजय का वर्णन है। दरियुस के पुत्र सम्राट् खैरखैस मराथन नाम स्थान पर यूनानियों द्वारा अपने पिता की पराजय का प्रतीकार करने के लिए दलबल सहित यूनान और विशेषकर एथेंस को दंड देने के लिए अपने शत्रुओं पर चढ़ाई करते हैं। फारस की राजधानी सूसा में राजमाता अतोस्सा को दु:स्वप्न दिखलाई देते हैं। वे देवपूजा की तैयारी करती हैं। कुछ समय पश्चात् युद्ध में पराजित और दुर्विताड़ित सैनिक
और खैरखैस लौटकर घर आते हैं। इसकिलस ने इस नाटक की रचना सालामिस की विजय के उपलक्ष में की थी। इस नाटक में प्लातइया के युद्ध में पारसीकों की पराजय की भविष्यवाणी भी मिलती है। ईसकिलस को इन युद्धों का प्रत्यक्ष अनुभव था। इस नाटक का अभिनय एथेंसवासियों तथा अन्य यूनानियों को बहुत प्रिय था।
'हैपता ऐपि थेबास' (थेबेस नगर पर सात योद्धाओं की चढ़ाई) में लाइयुस और ईदिपस के शापग्रस्त परिवार के विनाश का वर्णन है। थेबेस के राजा एतेओक्लेस का भाई पोलोनेइकेस सात योद्धाओं के साथ थेबेस नगर पर चढ़ाई करता है, नगर के सातों द्वारों पर युद्ध होता है और दोनों भाई परस्पर युद्ध करते हुए मारे जाते हैं। ईदिपस के शापग्रस्त परिवार की कथा यूनानी साहित्य में अत्यंत प्रसिद्ध है।
'औरेस्तेइया' भी एक अन्य शापग्रस्त परिवार से संबंध रखनेवाले तीन नाटकों की लड़ी है। यद्यपि इस प्रकार के नाटकों के अनेक त्रितय (त्रिलोगियाँ) यूनानी नाटककारों द्वारा रचे गए थे, पर भाग्य की बात, उनमें से, मानों उदाहरणस्वरूप, ईसकिलस की यही त्रिलोगी इस समय अवशिष्ट है। इसमें अगामेम्नन्, खाएफोरोए और यूमेनिदेस, इन तीन नाटकों का समावेश है। प्रथम नाटक में ट्राय की विजय के पश्चात् लौटे हुए राजा अगामेम्नन की उनकी पत्नी द्वारा की गई हत्या का वर्णन है। दूसरे नाटक में निर्वासन से गुप्त रूप से लौटे हुए अगामेम्नन के पुत्र औरेस्तेस अपने मित्र पिलादेस और अपनी बहन एलैक्त्रा की सहायता से अपनी माता के जार इगिस्थुस को अपनी माता के सहित मार डालते हैं। इस पर 'ऐरीनियेस' (स्व-कुल-घात से उत्पन्न हुई कृत्याएँ) उनका पीछा करती हैं और वे उनसे त्राण पाने के लिए भागने लगते हैं। तीसरे नाटक में एथेंस नगर में कृत्याओं के शमन का वर्णन है। कुछ आलोचकों के मत में यह ईसकिलस की सर्वश्रेष्ठ रचना है।
प्रोमेथियुस दैस्मोतेस (प्रमथ बंधन) नामक में मानवों को अग्नि प्रदान करनेवाले प्रोमेथियुस नामक देवता को ज़ेउस (द्यौस) की आज्ञा से शकस्थान में समुद्र की एक चट्टान पर कीलों से विजड़ित कर दिया जाता है। परंतु उसके प्राण नहीं निकलते। यह नाटक विचारप्रधान है। शेली ने इस नाटक का पूरक 'प्रोमथियुस अनबाउंड' नामक नाटक अंग्रेजी भाषा में लिखा है। स्वयं ईसकिलस ने इस विषय पर तीन नाटक लिखे थे पर शेष दो नाटक अब नहीं मिलते। आलोचकों का कहना है कि इस नाटक में यूनानी त्रागेदी की कला मूर्तिमती हो उठी है। इन सात नाटकों के अतिरिक्त ईसकिलस के बहुत से नाटकों के नाम और बिखरी हुई पंक्तियाँ यूनानी साहित्य में यत्रतत्र मिलती हैं।
ईसकिलस ने दु:खांत नाटक के स्वरूप को व्यवस्थित किया। उनको प्रभावशाली दृश्यों और ऐश्वर्यशाली वेशभूषा से प्रेम था। उन्होंने जिन पात्रों की सृष्टि की है उनमें से अधिकांश चरित्र संबंधी महत्ता और शक्ति से समन्वित है। ईस्किलस के नाटकों में समसामयिक जनस्वातंत्य की भावना उभरती हुई दृष्टिगोचर होती है।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं-मूल नाटक, सिज़विक द्वारा संपादित, ऑक्सफ़ोर्ड का संस्करण। अंग्रेजी अनुवाद सहित लाएब क्लासिकल लाइब्रेरी का संस्करण, दो जिल्दों में (वियर स्मिथ द्वारा संपादित एवं अनूदित); गिलबर्ट मरे के पद्यानुवाद भी अच्छे माने जाते हैं। समालोचना, गिलबट मरे: ऐंशेंट ग्रीक लिटरचर, ईसकिलस; नौर्वुड: राइटर्स ऑन ग्रीस; बाउरा: ऐंशेंट ग्रीक लिटरेचर इत्यादि।