उद्दक रामपुत्त
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उद्दक रामपुत्त
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 100 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भिक्षु जगदीश काश्यप |
उद्दत रामपुत्त गृहत्याग करने के बाद सत्य की खोज में घूमते हुए बोधिसत्व सिद्धार्थ गौतम विख्यात योगी उद्दक रामपुत्त के आश्रम में पहुँचे। उद्दक रामपुत्त रूपावचर भूमि से ऊपर उठ, अपने समकालीन योगी आलार-कालाम की भाँति, अरूपाचर भूमि की समापत्ति प्राप्त कर विहार करते थे। सिद्धार्थ गौतम ने उस योग प्रक्रिया में शीघ्र ही सिद्धि का लाभ कर लिया और उसके ऊपर की बातें जाननी चाहीं। जब उद्दक और कुछ न बता सके तब सिद्धार्थ ने उनका साथ छोड़ दिया। बुद्धत्व लाभ करने के बाद भगवान् बुद्ध ने सर्वप्रथम उद्दक रामपुत्त और आलारकालम को उपदेश देने का संकल्प किया; किंतु तब वे जीवित न थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ