उपमान

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लेख सूचना
उपमान
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 120
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक रामचंद्र पांडेय

उपमान किसी अज्ञात वस्तु को किसी ज्ञात वस्तु की समानता के आधार पर किसी नाम से जानना। जैसे किसी को मालूम है कि नीलगाय गाय कैसी होती है; कभी उसने जंगल में गाय जैसा पशु देखा और समझ गया कि यही नीलगाय है। यह ज्ञान गाय के ज्ञान से हुआ है। किंतु शब्दज्ञान से इसमें भेद है। शब्दज्ञान से शब्द सुनकर बोध होता है, उपमान में समानता से बोध होता है। न्यायशास्त्र में इसे अलग प्रमाण माना गया है किंतु बौद्ध, वैशेषिक आदि दर्शन इसे अनुमान के अंतर्गत मानते हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ