उमर अल मकसूस
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उमर अल मकसूस
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 129 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | कैलासचंद्र शर्मा |
उमर अल् मकसूस द्वितीय ख़लीफ़ा मुआविया के गुरु। मुआविया ने अपने पिता की मृत्यु के बाद इनसे परामर्श लिया, मैं खिलाफत लूँ या नहीं। इन्होंने कहा, न्यायपूर्वक शासन कर सकें तो लें, अन्यथा न लें। छह सप्ताह तक राज्य चलाने के उपरांत मुआविया ने अपने को शासन करने में सर्वथा अयोग्य पाया और राज्यभार छोड़ दिया। इससे उमय्या वंश के लोग उमर अल् मकसूस से बेहद नाराज हो गए और अवसर मिलते ही 643 ई. में उन्होंने इन्हें जिंदा ही जमीन में गाड़ दिया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ