उमापति शिवाचार्य
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
उमापति शिवाचार्य
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 130 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | कैलाशचंद्र शर्मा |
उमापति शिवाचार्य (1290-1320 ई. के लगभग विद्यमान) शैव शास्त्र के मर्मज्ञ आचार्य। ये अपने समय के संस्कृत तथा तमिल लेखकों में सर्वप्रख्यात थे। शैव सिद्धांत पर इनके आठ ग्रंथ उपलब्ध हैं जिनमें से एक का रचनाकाल 1313 ई. दिया हुआ है। इसके अतिरिक्त इन्होंने 'पौष्कर संहिता' पर एक अत्यंत पांडित्यपूर्ण ढंग से प्रतिपादन किया है कि शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा सबको करनी चाहिए। उमापति शिवाचार्य कृत 'कोईर पुराणम्' नामक एक ओर भी ग्रंथ मिलता है जिसमें प्रसिद्ध शैव तीर्थ चिदंबरम् से संबंधित निजंधरी आख्यानों का संग्रह है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ