एलिस
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एलिस
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 253 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्यामसुंदर शर्मा |
एलिस प्राचीन काल में ग्रीस के एलिस जिले का प्रधान नगर था। यह पेन्यूस नदी के दक्षिण में कलसकोपी की पहाड़ी पर बसा हुआ है। इसे आक्ज़ीलस ने बसाया था जो ऐतोलियन प्रवासियों का नेता था।उसकी एक बहुत बड़ी मूर्ति नगर के बीच बाजार में थी। इस नगर में ओलिंपिक देवता ज़्यूस के उपवन और मंदिर थे। पास ही विस्तृत मैदान में ओलिंपिक खेलकूद प्रतियोगिताएँ होती थीं। यहाँ प्रतियोगियों का एक मास तक प्रशिक्षण होता था। सबसे बड़े राष्ट्रीय उत्सवों की पवित्रता के कारण यह नगर चिरकाल तक आक्रमणों से सुरक्षित रहा। यहाँ कई भव्य मंदिर थे। इनमें प्रसिद्ध अक्रापोलिस अथीना के मंदिर में सोने और हाथीदाँत की फेइडिया की विशाल मूर्ति थी। इस नगर के उत्तर की उर्वर भूमि अपने घोड़ों के लिए विख्यात थी। सन् 309 ई.पू. में स्पार्टा के राजा अगीस ने इसे अधिकृत कर लिया था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ