ऐस्क्लीपाइओडीज़
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
ऐस्क्लीपाइओडीज़
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 289 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
ऐस्क्लीपाइओडीज़ यूनानी चिकित्सक। जन्म विधिनिया में 124ई. पू.। युवावस्था में बहुत भ्रमण किया। रोम में इसने प्रथम अलंकारशास्त्री का कार्य प्रारंभ किया, पर इस व्यवसाय में उसे सफलता नहीं मिली। फिर चिकित्सा का व्यवसाय आरंभ किया जिसमें उसकी बड़ी ख्याति हुई। इसकी चिकित्सा पारमाण्विक अथवा कणिका सिद्धांत पर आधारित थी। इस सिद्धांत के अनुसार शरीर में कणिकाओं की अनियमित अथवा असंगत गति के कारण रोग उत्पन्न होते हैं। इसकी चिकित्सा का उद्देश्य ऐसी अनियमितता को दूर कर कणिकाओं की पूर्ण संगत गति प्राप्त करना था। आहार परिवर्तन, घर्षण, स्नान तथा व्यायाम पर इसका अधिक विश्वास था, यद्यपि वह वमनकारी अथवा रक्तस्रावक ओषधियों का भी प्रयोग करता था। मद्य सेवन का भी यह निर्देश करता था। इसके अनेक शिष्य हुए और इसकी चिकित्सा का सिद्धांत मेथाडिकल सिद्धांत के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
टीका टिप्पणी और संदर्भ