कार्यमाणिवकम श्रीनिवास कृष्णन
कार्यमाणिवकम श्रीनिवास कृष्णन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 111 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | अंबिका प्रसाद सक्सेना |
कृष्णन् कार्यमाणिवकम् श्रीनिवास (१८९८-१९६१ ई.) प्रख्यात भौतिक वैज्ञानिक। जन्म ४ दिसंबर १८९८ ई. में अमेरिकन कालेज, मदुरा, मद्रास क्रिश्चियन कालेज एवं युनिवर्सिटी कालेज ऑव सायंस, कलकत्ता में शिक्षा प्राप्त की। इंडियन एसोसियेशन फॉर कल्टिवेशन ऑव सांयस (कलकत्ता) के तत्वावधान में सन् १९२३ तक अनुसंधान कार्य किया। १९३३-४२ ई. तक महेंद्रलाल सरकार रिसर्च प्रोफेसर तदुपरांत इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर। सन् १९४७ में राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला दिल्ली के प्रथम संचालक बने। १४ जून, १९६१ ई. को मृत्यु हुई।
मद्रास विश्वविद्यालय ने आपको डी. एस. सी. की उपाधि प्रदान की। सन् १९४० में रॉयल सोसायटी के सदस्य चुने गए। सन् १९४६ में सर की उपाधि से विभूषित किए गए। स्वतंत्र भारत की सरकार ने पद्मभूषण उपाधि प्रदानकर सम्मानित किया। सन् १९४५-४६ में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष चुने गए। सन् १९५० में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के भौतिकी विभाग के अध्यक्ष और बाद में इस संस्था के अध्यक्ष चुने गए। आप भारतीय परमाणु आयोग एवं भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् के संचालक मंडल के भी सदस्य थे। आपने अनेक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व सफलतापूर्वक किया था।
भौतिकी की प्रत्येक दिशा में आपका महत्वपूर्ण योगदान रहा। प्रकाशिकी, चुंबकत्व, इलेक्ट्रानिकी, ठोस अवस्था भौतिकी, तथा विशेषकर धातु भौतिकी पर आपने अनेक खोज की। सर सी. वी. रमण के साथ रमण-प्रभाव की खोज में भी योग दिया। वैज्ञानिक संसार ने प्रकाशिकी एवं मणिभ पर चुंबककीय प्रभाव संबंधी आपके अन्वेषण कार्य को अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना। आपके अनुसंधान संबंधी अनेक निबंध ट्रैंज़ैंक्शंस ऐंड प्रोसीडिंग्स ऑव रायल सोसाइटी (Transactions and Proceedings of Royal Society) में प्रकाशित हुआ है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ