कियेफ
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
कियेफ
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 9 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
लेखक | राहुल सांकृत्यायन |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
स्रोत | राहुल सांकृत्यायन : मध्य एशिया का इतिहास। |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
कियेफ कालासागर के उत्तर निए पर नदी के तट पर बसा एक रूसी नगर। दसवीं शती के आरंभ में यहां रहने वाले बरंगी जाति के लोगों ने आसपास के स्लाव लोगों को लूटना मारना आरंभ किया और फिर उनके प्रदेश में स्थायी रूप से बस गए। इन लोगों में प्रमुख रूरिक और उसके भाई थे। वे अपने पराक्रम से उस भूभाग के राजुल (सरदार) बन बैठे। रूरिक के पुत्र ओलेग ने अपने पराक्रम से राजविस्तार किया और कितने ही अनेक अन्य राजुलों को अपने अधीन कर लिया और वह कियेफ महाराजुल कहलाने लगा।
ओलेग की अधीनता में नीएपर के काँठे और इलामन सरोवर के आस पास बसने वाले स्लाव लोगों के प्रदेश को सामूहिक रूप से रूस नाम दिया गया और वहाँ के स्लाव कबीले कियेफ रूस कहलाने लगे।
913-14 ई. के आसपास कियेफ नरेश ओलेग ने कैस्पियन सागर के तटवर्ती प्रदेशों पर आक्रमण करना आरंभ किया और अपनी शक्ति का विस्तार कर रूस को एक विस्तृत राज्य का रूप दिया। ओलेग के भाई ईगर जब कियेफ का माहराजुल बना तो उसने 941 ई. में बिजंटीन साम्राजय के विरुद्ध एक भारी सामुद्रिक अभियान किया और कुस्तुंतनियाँ नगर के बहुत से भाग ध्वस्त कर दिए किंतु उसे अपने अभियान में विशेष सफलता नहीं मिली।
इस वंश के ब्लाडीमियर (973-1015) नामक नरेश ने 988 ई. में यूनान की राजकुमारी अन्ना से विवाह किया। विवाह की एक शर्त यह थी कि वह ईसाई हो जाएगा। तदनुसार उसने स्वयं तो ईसाई मत ग्रहण किया ही, साथ ही कियेफ की सारी प्रजा को यूनानी पादरियों द्वारा जबर्दस्ती बप्तिस्मा दिलाया।
यह राजवंश 1125 ई. तक रूस पर राज्य करता रहा।
टीका टिप्पणी और संदर्भ