कूविए जार्ज लिओपोल क्रेतीं फ्रेदरि
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कूविए जार्ज लिओपोल क्रेतीं फ्रेदरि
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 87 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | महाराजनारायण मेहरोत्रा |
कूविए जार्ज लिओपोल क्रेतीं फ्रेदरिक डागोबेर विश्वविख्यात फ्रांसीसी जीवशास्त्री। इनका जन्म 23 अगस्त, 1769 ई. को मौत विलिमार में हुआ था। स्तुतगार अकादमी में शिक्षा प्राप्तकर सन् 1795 में पेरिस के नैचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम में तुलनात्मक शरीर रचना के प्रोफेसर के सहायक के पद पर नियुक्त हुए। एक साल बाद इन्होंने इकोल सैंत्राल दु पॉथियों[१]में व्याख्यान देना आरंभ किया और नेशनल इन्स्ट्यूिट के उद्घाटन के अवसर पर इन्होंने पुराजैविकी पर अपना पहला लेख पढ़ा। 1898 ई. में इनका जीवजगत् का वर्गीकरण ताब्लो एलाँमांतेर द लिस्त्वार नातुरेल देज़ानिमो[२]में प्रकाशित हुआ। 1799 ई. में इनकी नियुक्ति कोलेज्झ द फ्रांस[३]में प्राकृतिक इतिहास के प्रोफेसर के पद पर हुई। अगले वर्ष इनका महत्वपूर्ण ग्रंथ लेकोन दानातोमी कोंपारी[४]पाँच भागों में प्रकाशित हुआ। 1802 ई. में वे ज्झार्दें दे पाँत[५]में (नाम मात्र के) प्रोफेसर बनाए गए और सन् 1803 में य नेशनल इन्स्ट्यूिट के भौतिकी और प्राकृतिक विज्ञान विभागों के स्थायी मंत्री चुने गए।
तदनंतर उन्होंने घोंघों, मछलियों, उरंगों तथा स्तनधारियों का विस्तृत अध्ययन किया। इनके इस अथक परिश्रम के परिणाम रिसर्च सूर ले ओस्सामाँ फ़ासिल द काद्रूपेद[६]और दिस्कूर सूर ले रवोलूत्सियों द ला सुर्फास दु ग्लोब[७]नामक ग्रंथ हैं। जीवों और पुराजीवों पर की गई अपनी गवेषणाओं को इन्होंने 1829-30 में ल रिन्ये अनिमाल दिस्त्रिबू दाप्रे सों ओर्गानिज़ात्सियों[८]के नाम से संकलितकर प्रकाशित किया, जिसके द्वितीय संस्करण के पाँच भाग हैं। उनके कार्यों की महत्ता का अनुमान इसी बात से किया जा सकता है कि उनको पृष्ठवंशी पुराजैविकी वेर्तेब्राली पालिओंतॉलोजी[९]का जन्मदाता कहा जाता है।
1808 ई. में नेपोलियन ने इंपीरियल यूनिवर्सिंटी की काउंसिल में उनको नियुक्त किया। बाद में वे स्टेट काउंसिल में भी प्रतिष्ठित किए गए और विश्वविद्यालय के चांसलर चुने गए। 1819 ई. में वे आंतरिक समिति के सभापति नियुक्त हुए। 1826 ई. में उन्हें लीजन ऑव ऑनर[१०]का सम्मान मिला। 1831 ई. में लुई फिलिप ने उन्हें फ्रांस के पियर[११]की उपाधि प्रदान की। तदनंतर ये स्टेट काउंसिल के सभापति नियुक्त हुए। 1831 में गृह मंत्रालय[१२]में इनकी नियुक्ति हुई, पर उसी वर्ष थोड़े दिनों की बीमारी के बाद 13 मई को उनका देहावसान हो गया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (Ecole Centrale du Pantheon)
- ↑ (Tableau elementaire de I histoire naturelle des animaux)
- ↑ (College de France)
- ↑ (Lacons d anatomic Comparee)
- ↑ (Jardin des Pentes)
- ↑ (Recherches sur-les Ossements Fossiles de quadrupedes)
- ↑ (Discours sur les revolutions de la surface du globe)
- ↑ (Le Rigne animal distribue d apres son organisation)
- ↑ (Vertebrali Paleontology)
- ↑ (Legion of Honour)
- ↑ (Peer)
- ↑ (Ministry of Interior)