कैडमियम

अद्‌भुत भारत की खोज
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लेख सूचना
कैडमियम
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 130
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक विंध्यावासिनी प्रसाद

कैडमियम नीली आभायुक्त, चमकदार, सफेद धातु। हवा में रखने से सतह की चमक स्थिर नहीं रहती, धँुधली हो जाती है। हाइड्रोजन प्रवाह में आसवन से रजत जैसी सफेद मणिभीय धातु प्राप्त होती है। धातु को मोड़ने पर टिन की भाँति चरचराहट होती है। साधारण तापपर यह नरम रहती है और पीटकर चादरें अथवा खींचकर पतले तार बनाए जा सकते हैं, परंतु गरम करने पर यह भुरभुरी हो जाती है। धातु का द्रवणांक 320.9 सें., पिघलने पर उष्मा 13.66 कैलॉरी (15 सें.) ग्राम है। यह द्रव कैडमियम का वायुमंडीय दबाव पर क्वथनांक 767.2 सें. है। हवा में गरम करने पर कैडमियम आक्सिजन से क्रिया कर आक्साइड बनाता है जो धातु की सतह को ढक लेता है और अधिक ताप पर इसी क्रिया में कैडमियम आक्साइड का भूरा सफेद धुआँ प्राप्त होता हैं। वैसे तो साधारण ताप पानी से इसकी क्रिया नहीं होती, परंतु धातु का वाष्प पानी की भाप से संयुक्त होता है। हाइड्रो-क्लोरिक, सल्फ्यूरिक तथा नाइट्रिक अम्ल अथवा विलयन में हैलाजन से कैडमियम की प्रत्यक्ष क्रिया होती है, जिससे तत्संबंधी लवण प्राप्त होते हैं। इसकी खोज तथा नामकरण एफ. स्ट्रॉमेयर (F. Stromeyer) ने 1817 ई0 में किया था।

साधारण्तया यह जस्ते के खनिज (जिंक कार्बोनेट) से प्राप्त हल्के पीले रंग के आक्साइड में पाया जाता है और वह कैडमियम सल्फाइड के रूप में रहता है। उसमें इसकी मात्रा 3 प्रतिशत से अधिक नहीं रहती। ग्रीनोकाइट (Greenockite) नामक खनिज में यह विशेष मात्रा में पाई जाती है। जस्ते के आसवान से भभके के शंकुओं अथवा उपायोजकों (adapters) में जो धूल प्रथम तीन या चार घंटे में एकत्र होती है उसी में कैडमियम रहता है। इस धूल को कोयले के साथ भभके में बारंबार गरम करने पर आक्साइड के अवकरण से धातु प्राप्त होती हे। विलयन से जस्ते के द्वारा अवक्षेप के रूप में, अथवा विद्युद्विश्लेषण द्वारा, कैडमियम धातु प्राप्त की जा सकती है, जिसके धोने और सुखाने से शुद्ध धातु प्राप्त होती है।

कैडमियम का उपयोग मिश्रधातु बनाने में होता है। ताँबे के साथ 0.8-1% कैडमियम मिलाने से ताँबे की विद्युच्चालकता कम हो जाती है, परंतु यांत्रिक क्षमता अत्यधिक बढ़ जाती है। फलत: ट्राली (trolly) के अथवा अन्य विद्युत्‌ कार्यों के लिये तार बनाने में यह अति उत्तम होता है। रजत तथा कैडमियम से प्राप्त मिश्रधातु सिक्के बर्तन, या सजावट की अन्य वस्तुएँ बनाने मे उपयुक्त होती है। इनपर अच्छी पॉलिश चढ़ती है और चमक भी अधिक टिकाऊ होती है। उच्च द्रवणांक तथा अधिक घर्षणवरोध के गुण होने के कारण निकल कैडमियम बेयरिंग की मिश्रधातु से मशीनों के विशेष पुर्जे क्रैक शाफ्ट (crank-shaft) आदि, बनाए जाते हैं। इसी प्रकार बहुत सी अन्य मिश्रधातुओं में कैडमियम की थोड़ी मात्रा होने पर उनमें विशेष गुणपरिवर्तन होते हैं और वे विविध कार्यों के लिये अधिक उपयुक्त हो जाती हैं।

कैडमियम हाइड्राक्साइड, कार्बोनेट अथवा नाइट्रेट के उष्माविघटन से कैडमियम का भूरा आक्साइड चूर्ण रूप में प्राप्त होता है। यह समाक्षारीय आक्साइड होता है और अम्लों से शीघ्रतापूर्वक लवण बनाता है। कैडमियम के किसी विलेय लवण के विलयन में क्षार हाइड्राक्साइडों से कैडमियम हाइड्राक्साइड [ Cd(OH)2 ] का सफेद अवक्षेप प्राप्त होता है। ऐमोनिया से संकीर्ण लवण के कारण अवक्षेप घुल जाता हैं।

इसके महत्व के लवण सल्फाइड, सल्फेट, क्लोराइड, कार्बोंनेट, नाइट्रेट और सायनाइड हैं। सल्फाइड पीतवर्णक ओर इनैमल के रक्तवर्णक के रूप में, सल्फेट मानक विद्युत्‌ सेलों में, सायनाइड विद्युत्‌-आवरण (Electroplating) में उपयुक्त होते हैं। कैडमियम के अनेक युग्म या संकीर्ण लवण बनते हैं। कैडमियम कार्बधात्विक यौगिक भी बनाता हैं। कैडमियम लवणों से पीत सल्फाइड के अवक्षेप बनने के कारण यह पहचाना जाता है। यह अवक्षेप ठंडे तनु विलयनों में अविलेय होने से बंग और आर्सेनिक से कैडमियम का विभेद किया जा सकता है।[१]



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सं.ग्रं.-जे. एफ. थॉर्प और एम. ए. ह्वइटले : थॉर्प्स डिक्शनरी आटॅव ऐप्लाइड केमिस्ट्रीि; जे. आर. पारचिंगटन : ए टेक्स्ट : ए टेक्स्ट बुक ऑव इनऑर्गैंनिक केमिस्ट्री (1950)।