कैमूर पर्वत
कैमूर पर्वत
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 141 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | काशीनाथ सिंह. |
कैमरू पर्वत भारत की विध्य पर्वतश्रेणी का पूर्वी भाग जो मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के कटंगी के पास (23, 26, उत्तरी अक्षांस से 79, 48 पूर्वी देशांत) प्रारंभ होकर सर्वोतरी श्रेणी के रूप में रोहतासगढ क्षेत्र (24 57 उत्तरी अक्षांस से 84 2 पूर्वी देशांत) तक चली जाती है। इसकी अधिकतम चौड़ाई लगभग 50 मील है। मध्यप्रदेश के जूलेखी स्थान से उत्तर पूर्व की ओर लगभग 150 मिल तक है। यह पर्वत श्रेणी सोण नदी की घाटी की उत्तरी किनारे पर खड़ी दीवाल के रूप में चली जाती है। इस क्षेत्र में बलुआ पत्थर की प्रधानता है किंतु कहीं कहीं परिव्र्तित चट्टाने भी प्रचुर मात्रा में मिलती है। गोविंदगढ़ के पास लगभग 2,000 ऊँचा भाग उत्तर पश्चिम की ओर चला जाता है। रोहतास गढ़ क्षेत्र के मध्य छोटी किंतु अत्यंत उपजाऊ घाटियाँ स्थित हैं। पहाड़ों की ढालें अत्यंत खड़ी एवं दुर्गम है परंतु बीच बीच में दर्रे हैं। चुनार गढ़ विजय गढ़ तथा रोहतास गढ़ के किलों के कारण इन श्रेणियों का ऐतिहासिक महत्व हैं। विजयगढ़ के पास कंदराओं में प्रागैतिहासिक चित्र एवं प्रस्तरकालिनक हथियार उपलब्ध हुए है। संपूर्ण क्षेत्र भवन निर्माणार्थ बलुआ पत्थर की खदानें है। चूना पत्थर में डालमियानगर जपला बनजारी और चुर्क में सीमेंट तथा चूना बनता है। डेहरी-ओन-सोन के दक्षिणी डेहरी रोहतास चुटिया रेलवे के पास बनजारी एवं अमझोर के पास गंधक के खनिज माक्षिक (Pyrites) मिले हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ