कैयट

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लेख सूचना
कैयट
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 142
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक करुणापति त्रिपाठी

कैयट पतंजलि के व्याकरण भाष्य की प्रदीप नामक टीका के रचयिता। उनके पिता का नाम जैयटोपाध्याय[१]था। अनुमान है कि वे कशमीर निवासी थे। पीटर्सन ने कशमीर की रिपोर्ट में (और उव्वट) कैयट को प्रकाशक ऽर मम्मट का भाई और जैयट का पुत्र कहा है। काव्यप्रकाश की सुधा सागर नामक टीका में 18 वीं शती के भीमसेन ने भी कैयट और औवट शुक्लयजुर्वेद को सम्मट के भाष्यकार को मम्मट का अनुज और शिष्य बताया है। पर यजुर्वेदभाष्य पुष्पिका में औवट (या उव्वट) के पिता का नाम वज्रट कहा गया है।

काश्मीरी ब्राह्मणपंडितों के बीच प्रचलित अनुश्रुति के अनुसार कैयत पामपुर (या येच) गाँव के निवासी थे। महाभाष्यांत पाणिनि व्याकरण को वे कंठस्थ ही पढ़ाया करते थे। आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण उदरपोषण के लिये उन्हें कृषि आदि शरीरश्रम करना पड़ता था। एक बार दक्षिण देश से कश्मीर आए हुए पंडित कृष्ण भट्ट ने कश्मीरराज से मिलकर तथा अन्य प्रयत्नों द्वारा कैयट के लिए एक गाँव का शासन और धनधान्य संग्रह किया और उसे लेकर जब वे उसे समर्पित करने उनके यहाँ पहुँचे तो उन्होने भिक्षा दान ग्रहण करना अस्वीकार कर दिया। वे कश्मीर से पैदल काशी आए और शास्त्रार्थ मे अनेक पंडितों को हराया। वहीं प्रदीप की रचना हुई। इस टीकाग्रंथ के संबंध में उन्होने लिखा है कि उसका आधार भर्तृहरि (वाक्यपदीयकार) की भाष्यटीका है। जो अब पूर्णरूप से अप्राप्य है)। प्रदीप में स्थान स्थान पर पंतजलि और भर्तृहरि के स्फोटवाद का अच्छा दार्शनिक विवेचन हुआ है। देवीशतक के व्याख्याकार कैयट इनसे भिन्न है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महामाष्यार्णवाऽवारपारीणंविवृतिप्लवम्‌। यथागमं विधास्येहं कैयटो जैयटात्मज