कैलिको

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लेख सूचना
कैलिको
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 145
भाषा हिन्दी देवनागरी
लेखक (स्व.) गोरखप्रसाद
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी

कैलिको मूलत भारत के कालीकट नाम पर वहाँ से इंग्लैंड जाने वाले सूती वस्र को कैलिको कहते थे। अब साधारण बुनावट के सफेद सूती कपड़े को इंग्लैंड में कैलिको कहते हैं।

  • कैलिको में अंतर्गत महीन से महीन मलमल से लेकर मोटे से मोटे मारकीन तक संमिलित है।
  • साधारणत: कैलिको उन्हीं कपड़ों को कहते हैं जिनमें ताना और बाना एक मोटाई के रहते हैं।
  • उसकी बुनावट में बाने को प्रत्येक धागा (सूत्र) ताने के धागों को एकांतरत: ऊपर चढ़कर और नीचे से होकर पार करता है।
  • यदि ताने के धागों पर विचार किया जाए तो पता चलेगा कि ताने का प्रत्येक धागा भी बाने के धागों को एकातंरत: ऊपर चढ़कर और नीचे से होकर पार करता है।
  • बदले बाने को ताने की अपेक्षा मोटा रखने से पॉपलिन नामक कपड़ा बनता है। बाने की अपेक्षा ताने को पर्याप्त मोटा रखने से रेप्प नामक कपड़ा बनता है, जो कुरसी की गद्दी आदि बनाने के काम आता है।
  • अमरीका में कैलिको का अर्थ छींट माना जाता है। वहाँ स्रियों को परिहास में कैलिको कहते है, क्योंकि वे बहुधा छींट पहनती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

साँचा:भारत में उद्योग और व्यापार